Dengue In Uttarakhand: उत्तराखंड में पिछले दो महीने से डेंगू का कहर देखा जा है. देहरादून हरिद्वार जिला डेंगू से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र ह। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम समेत अन्य संबंधित विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि तमाम व्यवस्थाएं होने के बावजूद राजधानी में डेंगू पर काबू नहीं पाया जा रहा है। अगर प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर स्थिति बेकाबू हुई, तो डेंगू से बड़ी तबाही देखने को मिल सकती है। मंगलवार को प्रदेश में 80 और लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है। सबसे अधिक हरिद्वार में 26 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई। इसके अलावा देहरादून में 23, नैनीताल में 17, पौड़ी में 10, अल्मोड़ा व चमोली में दो-दो लोगों को डेंगू का डंक लगा है। राहत इस बात की है कि डेंगू से किसी मरीज की मौत नहीं हुई है।
राज्य में अभी तक डेंगू के कुल 1262 मामले मिल चुके हैं। जिनमें से 932 लोग स्वस्थ हो चुके हैं और वर्तमान में 317 सक्रिय मरीज हैं। वहीं डेंगू से अब तक 13 लोगों की मौत भी हो चुकी है। रुड़की शहर से सटे मेहवड़ गांव में डेंगू से भाजपा नेता समेत दो की मौत हो गई। इस गांव में संदिग्ध बुखार से अब तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, माजरी गांव में स्वास्थ्य विभाग ने शिविर लगाकर 33 लोगों में डेंगू की आशंका के चलते उनके सैंपल लिए हैं। करीब डेढ़ सौ लोग इस गांव में बुखार से पीड़ित हैं, जबकि 15 से अधिक लोगों का विभिन्न अस्पताल में उपचार चल रहा है।
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, देहरादून में इस सीजन में अभी तक डेंगू के सर्वाधिक 705 मामले मिले चुके हैं। इसके अलावा हरिद्वार में 217, नैनीताल में 168, पौड़ी में 119, ऊधमसिंहनगर में 27, चमोली में 15, अल्मोड़ा में पांच, रुद्रप्रयाग में चार और बागेश्वर में दो मामले मिले हैं। कुल मिलाकर डेंगू का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। सरकारी व निजी अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ लगी हुई है। डेंगू मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड भी लगभग फुल हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लगातार दावा कर रहे हैं कि डेंगू की रोकथाम के लिए हर स्तर पर प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। मरीजों को बेहतर इलाज देने के लिए सरकारी व निजी अस्पताल प्रबंधनों को निर्देशित किया गया है।