पहाड़ प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की हालत सुधारने के नाम पर गुज़रे सालों में राज्य सरकार ने एक के बाद एक सरकारी अस्पताल पीपीपी मोड में देती चली गई। लेकिन आज आलम यह है कि पीपीपी मोड के इन सरकारी अस्पतालों में इलाज के नाम पर घोर लापरवाही बरतने की घटनाएं सामने आ रही हैं। रामनगर में पीपीपी मोड पर चल रहे सरकारी अस्पताल में जानलेवा लापरवाही का ताज़ा मामला सामने आ गया है।
पीपीपी मोड पर संचालित सरकारी अस्पताल में आपरेशन के दौरान गर्भवती महिला की तबीयत खराब होने पर उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया। निजी अस्पताल में उपचार के दौरान पता चला कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही से शिशु की गर्भ में ही मौत हो गई। परिजनों ने सरकारी डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल के बाहर हंगामा कर कार्यवाही की मांग कर रहे है। परिजनों ने आरोप लगाया कि छोटा ऑपरेशन के नाम पर जच्चा के एक कट लगाया गया जिसके बाद शिशु के सिर में घाव हो गए और उसकी मौत हो गई।
पिछली सरकार में मंत्री रहते बंशीधर भगत ने भी इस अस्पताल का दौरा कर कई ख़ामियां पकड़ी थी। दरअसल, यह तो महज़ एक उदाहरण मात्र है राज्यभर में जहाँ जहाँ पीपीपी मोड में सरकारी अस्पताल चल रहे हैं, वहाँ वहाँ आए दिन प्रबंधन और डॉक्टरों द्वारा लापरवाही बरतने की घटनाएँ होती रही हैं। यही वजह है कि BJP के आठ विधायकों ने अपने विधानसभा क्षेत्रों में पीपीपी मोड में अस्पताल न चलाने की माँग की है। स्वास्थ्य मंत्री और तमाम विभागीय अफसरान के सामने विधायकों ने पीपीपी मोड अस्पतालोें की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए।
स्थानीय लोगों ने सरकार से इस अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाकर सरकारी स्तर पर संचालित कराने की मांग की है। बता दें कि रामनगर का राम दत्त जोशी राजकीय संयुक्त चिकित्सालय लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चर्चाओं में रहता है। पीपीपी मोड पर संचालित हो रहे इस अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं लगातार पटरी से उतरती जा रही है, लेकिन सरकार व स्थानीय जनप्रतिनिधि पूरी तरह खामोश हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस अस्पताल में जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।