Uttarakhand का वो गांव जहां डोली में नहीं बैठती है दुल्हन | Chamoli News | Uttarakhand News

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डोली में नहीं घोड़ी में विदा होती है दुल्हन…आखिर क्या चल रहा इस गांव में ?
दुल्हन की विदाई घोड़ी में की जाती है…डोली का कोई नाम भी नहीं लेता है !
दूल्हा-दुल्हन दोनों घोड़ी पर होते हैं सवार…खासमखास है उत्तराखंड की ये रश्म !

सिर्फ फिल्मों ही नहीं..बल्कि रियलिटी में भी ऐसा नहीं देखा होगा…आपने..जो हम आपको दिखा रहे हैं…शादियों में घोड़ी बुक की जाती है कि..दुल्हा बारात लेकर जाएगा…डोली बुक की जाती है कि..दुल्हन बैठेगी…लेकिन यहां तो सब उल्टा है…यहां जो काम दुल्हन को करना चाहिए…वो दूल्हा कर रहा है…आखिरक्या है वजह..और क्या है मामला…ये सारी बातें हम आपको बताने वाले हैं…जमाने में कई तस्वीरें ऐसी दिख और मिल जाती है…,जो शायद इतिहास बन जाती है…कुछ तस्वीरें पहली बार दिखती हैं तो यकीन नहीं होता है…लेकिन कभी कभी करना पड़ता है..जब ऐसी तस्वीरें हमारे ही आस पास की होती हैं…अब जरा इसे ही देख लिजिए…सब कुछ बिल्कुल अलग है…घोड़ी पर दूल्हा भी है…घोड़ी पर दुल्हन भी है….वैसे सोशल मीडिया पर कुछ पल के लिए ऐसी तस्वीरें सिर्फ रिल्स बनाने के लिए मिल जाती हैं…लेकिन हकीकत में यही है जो आप देख रहे हैं…और हम दिखा रहे हैं,…घोड़ी पर दुल्हन बैठकर जा रही है…और दूल्हा भी…अब आप सोच रहे होंगे कि…आखिर क्यों…दूल्हा तक तो ठीक था..लेकिन अब दुल्हन भी शुरू होगई है…अब इस माजरे ने सबको हैरान कर रखा है कि…ये प्रथा है या फिर रील्स का शौक है….आज की हम रिपोर्ट में यही बताने वाले हैं कि…दूल्हे केसाथ दुल्हन भी ऐसा क्यों कर रही है..जो दिख रहा है…

दरअसल हम जिस गांव कीबात कर रहे हैं..वो गांव उत्तराखंड में है.,..जहां डोली में दुल्हन नहीं विदा होती है..जो भी सुनता है हैरान रह जाता है कि..आखिर ऐसा क्यों नहींहो पाता..या क्यों नहीं किया जाता…आज भी उत्तराखंड में कई रश्मे निभाई जाती हैं…पुरानी परंपराओं को जिंदा रखने वाला सिर्फ उत्तराखंड ही है…चमोली जिले के दसौली ब्लाक इलाके में ये गांव आता है…जहां दुल्हन घोड़े पर सवार होकरजाती है…इराणी गांव की दुल्हन कभी भी डोली में विदा नहीं होती हैं…क्योंकि इसके पीछे मां नंदा का मायका है…जिसे रीति रिवाजों में जगह दी जाती हैं…इस वीडियो केसामने आने के बाद तमाम तरह के लोग चर्चा करने लगते हैं कि..।आखिर ऐसी क्या वजह है…लेकिन ये कोई नहीं पता पाता है कि..इसके पीछे की वजह क्या है…जो हम बता रहे हैं…आज भी उत्तराखंड अपने भीतर कई परंपराओं को समेटे है..उसी में एक है ये तस्वीरें…जो हम आपको दिखा रहे हैं…घोड़ी पर दूल्हा..और दुल्हन की विदाई..ये रोचक है..और काफी अच्छा भी लग रहा है…लेकिन लोग चाहते तो समय के साथ बदल सकते थे..लेकिन ऐसा नहीं हुआ…क्योंकि .वो अपनी परंपरा के अनुसार चलते है..और परंपरा के खिलाफ नहीं जाना चाहते…आखिर क्या है इनकी परंपरा..जिसे 21 सदी में भी लोग मानने को तैयार हैं…और रुकते नहीं है…लोग बदल गए..जमाना बदल गया…लेकिन आज भी ये लोग नहीं बदले हैं…इसके पीछे की वजह यही है जो हम आपको दिखा रहे हैं…

मां नंदा देवी का गांव है..जहां डोली में मां नंदा देवी कीविदाई होती है…इस परंपरा के साथ यहां ये चलने लगा कि..कभी भी उस गांव में जिस बेटी की शादी होगी..वो मां नंदा देवी की तरह डोली में नहीं जाएगी…यानी सिर्फ मां नंदा देवी ही डोली में विदा हो सकती हैं…इसके बाद से चमोली के इस गांव में जब भी शादी होती है तो बेटियों की विदाई…घोड़ी पर की जाती है…डोली पर नहीं की जाती…इस परंपरा के मुताबिक हर हाल में इसे लोगों को मानना पड़ता है…आपको बता दें कि..देवभूमि में कई आस्थाएं ऐसी हैं जो दिखती नहीं है…लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में वीडियोज सामने आने के बाद से…कई राज भी बाहर आ जाते हैं..