उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा टनल से मजदूरों को बाहर निकालने के बाद विपक्ष ने सरकार पर सवालों की बौछार शुरू कर दी है। Action against the culprit of Silkyara Tunnel accident प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में करन माहरा ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग में रेस्क्यू ऑपरेशन में 17वें दिन सफलता मिली है। ऑपरेशन में लगे सभी इंजीनियर, श्रमिकों, विशेषज्ञों, केंद्र व राज्य की राहत व बचाव में लगी एजेंसियों और प्रशासन के अधिकारियों सहित सभी का अतुलनीय सहयोग रहा। लेकिन शुरुआती दौर से ही सरकार की इच्छा शक्ति में कमजोरी रही। ऐसी परिस्थिति में सरकार की इच्छा शक्ति को ही परखा जाता है। किंतु सरकार यहां पर विफल साबित हुई। इसलिए सरकार के प्रयासों पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है।
करन माहरा ने कहा कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व निदेशक पीसी नवानी और केएस वल्दिया जैसे विशेषज्ञों का इस क्षेत्र में लंबा अनुभव रहा है। यदि उनके अनुभव का लाभ सरकार लेती तो निश्चित तौर पर इस प्रकार की दुर्घटना हिमालयी क्षेत्र में नहीं होती। निर्माण करने वाली कंपनी मनमानी नहीं कर सकती थी। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या राज्य की सरकार टनल बनाने वाली कंपनी पर यथोचित कार्रवाई करेगी। लेकिन इस बात की उम्मीद कम है कि सरकार लापरवाही बरतने वाली कंपनी पर कोई कार्रवाई करेगी। गोदियाल ने चमोली में एसटीपी प्लांट में हुए हादसे का जिक्र करते हुए कहा कि एसटीपी प्लांट में करंट दौड़ने से एक दर्जन से अधिक लोगों की जान चली गई थी। लेकिन मुख्यमंत्री ने संबंधित कंपनी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। उसी तरह सिलक्यारा टनल में सेफ्टी मेजर का ध्यान नहीं रखा गया। इसके परिणाम स्वरूप 41 जिंदगियां 17 दिन तक सुरंग में फंसी रही।