दून में इस साल कारोबारी पूरी तरह ग्रीन पटाखे लेकर आए हैं। कारोबारियों के अनुसार, ग्रीन पटाखों से कम ही धुआं निकलेगा। इस साल पटाखा मार्केट में स्काई शॉट की डिमांड है। इनके दाम दूसरे पटाखों की तरह ही हैं। हां पेट्रोल, डीजल के दामों में वृद्धि के कारण पटाखे पिछले साल के मुकाबले इस बार 10 से 12 फीसदी महंगे जरूर हुए हैं।
दिवाली पर मिठाई, सोना-चांदी और बर्तनों की खरीदारी के साथ पटाखों की खरीदारी होती है। पिछले साल मार्केट में कम ही ग्रीन पटाखे पहुंचे थे। लेकिन, इस बार इसका कारोबार बढ़ाने के लिए ग्रीन पटाखे मंगवाए गए हैं। कारोबारियों के अनुसार, ग्रीन पटाखे सौ से 5000 रुपये तक मिलेंगे। पटाखा कारोबारी अंकित कुमार ने बताया कि इस साल ग्रीन पटाखे ही मंगवाए गए हैं। उनके अनुसार, पहले जो पटाखे पर्यावरण को 60 नुकसान पहुंचाते थे, ग्रीन पटाखे 40 तक कम नुकसान पहुंचाएंगे।
दून में इस बार तमिलनाडु के बम
दून के बाजारों में भले अधिकांश बम सहारनपुर-दिल्ली से आए हों, लेकिन सबसे अधिक डिमांड शिवाकाशी तमिलनाडु के बमों की रहती है। बताया जाता है कि इनके पटाखे मार्केट में कम मिलते हैं, जो पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं। दिल्ली और सहारनपुर से आने वाले सांप के रूप में बने पटाखे पूरी तरह बंद हो गए हैं। इस बार उन पटाखों को नहीं खरीदा गया है।
पटाखे छोड़कर फैंसी आइटम की दुकान लगाई
हर साल पटाखों का काम करने वाले व्यापारी राकेश अरोड़ा बताते हैं कि इस साल उन्होंने पटाखे की बजाय फैंसी आइटम की दुकान लगाई है। अब पटाखों का काम लगातार कम हो रहा है। उन्होंने 15 साल तक पटाखों का काम किया। इस बार का बाजार और सख्ती को देखते हुए उन्होंने पटाखे की दुकान से दूरी बना ली।
सर्राफा और पटाखा बाजार पर कोरोना संकट का असर
देहरादून। शहर के बाजारों में भले ही बीते साल की अपेक्षा तेजी आई हो, पर पटाखा और सर्राफा कारोबार उस तरह तेजी नहीं पकड़ पाया है, जो कारोबार कोरोनाकाल से पहले हुआ करता था। इन कारोबारियों के अनुसार, बाजार में 30 से 40 फीसदी तक असर पड़ा है। वे इसका कारण कोरोना संकट को मान रहे हैं। दून में कई ऐसे कारोबारी भी हैं, जो इस साल पटाखों का कारोबार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने फैंसी आइटम की दुकान लगाई है। दून वैली उद्योग व्यापार महानगर अध्यक्ष पंकज मैसोन ने बताया कि सर्राफा कारोबार बीते साल से बेहतर है, पर कोरोनाकाल से पहले की तरह स्थिति नहीं है। कोरोना से पीड़ित परिवार सोने की खरीदारी से बच रहे हैं। कई ऐसे लोगों से बात भी हुई है। थोक व्यापारी गौरव वाधवा बताते हैं कि पटाखा कारोबारियों ने पहले ही बैठक की थी। इस साल पिछले वर्षों की अपेक्षा पहले ही 40 कम पटाखे मंगवाए गए।