धधक रहा है उत्तराखंड! लाखों की वन संपदा खाक, अब तक हो चुकी 544 घटनाएं

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उत्तराखंड में कोने-कोने में जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। जिससे वन संपदा को भारी नुकसान पहुंच रहा है तो वहीं वन्यजीवों पर भी खतरा मंडरा आ रहा है। Uttarakhand Jungle Fire वन विभाग रोड हेड से लगे जंगलों में तो आग पर जैसे तैंसे काबू कर पा रहा है, लेकिन बाकि जंगल की आग उसके काबू से बाहर है। पूरे उत्तराखंड में अभी तक 544 फायर इंसीडेंट में 656 हेक्टेयर एरिया में जंगल आग की चपेट में आ चुके हैं। हालांकि, सरकारी रिपोर्ट को छोड़ दिया जाए, तो ये आंकडा दोगुने से भी ज्यादा बैठता है। वन विभाग की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, बीते 24 घंटे में गढ़वाल में सात, कुमाऊं में 45 और दो वन्यजीव क्षेत्रों में आग की घटनाएं सामने आईं। इनसे 75.18 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए हैं। वन विभाग आग बुझाने के प्रयासों में जुटा है।

गढ़वाल में 211, कुमाऊं में 287 और वन्यजीव क्षेत्रों में अब तक 46 वनाग्नि की घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं। अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा के मुताबिक, आरक्षित वनों में अब तक 376 और सिविल या वन पंचायतों में अब तक 168 वनाग्नि की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। उत्तराखंड में जंगल की आग से हर साल मानव क्षति भी होती रही है। जंगल की आग से अभी तक एक वनकर्मी समेत दो लोग झुलस चुके है। गर्मी के मौसम में उत्तराखंड में इस तरह की घटनाएं हर साल होती हैं। हर साल सरकार और सिस्टम जंगलों को बचाने के लिए लाख दावे और हजारों प्लानिंग करत है। उसका बाद भी जंगलों में लगने वाली आग पर काबू नहीं पाया जाता है। हर साल आग लगने की घटने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़कर सरकारी सिस्टम को मुंह चिढ़ती हैं।