बिजली उत्पादन पर कोयले के संकट का असर उत्तराखंड तक पहुंच गया है। जरूरत के मुताबिक बिजली नहीं मिल पाने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही अब शहरी क्षेत्रों में भी कटौती शुरू कर दी गई है। राज्य में अभी बिजली की मांग 41 मिलियन यूनिट है। जबकि, 35 से 37 मिलियन यूनिट बिजली ही मिल पा रही हैं। चार से लेकर छह मिलियन यूनिट का यह गैप बड़े संकट का कारण बन गया है। ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत और सचिव ऊर्जा सौजन्या ने यूपीसीएल मैनेजमेंट से बिजली संकट से निपटने का एक्शन प्लान मांगा है।
टेंडर वाले भी नहीं दे रहे पूरी बिजली: यूपीसीएल ने बिजली खरीद के कुछ पुराने टेंडर भी किए हैं। इन टेंडरों में शामिल होने वाली कंपनियों ने भी हाथ खड़े करने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए कंपनियां जुर्माना सहने को भी तैयार हैं। इसका कारण बाजार में कंपनियों को मिल रहा अच्छा भाव बड़ी वजह माना जा रहा है।
एक्सचेंज में रेट 25 रुपये प्रति यूनिट तक
एनर्जी एक्सचेंज में इस समय बिजली का भाव न्यूनतम दस रुपये से लेकर अधिकतम 25 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच गया है। इस कीमत पर यूपीसीएल बिजली खरीदने की स्थिति में नहीं है।
डीजल वाले प्लांट के रेट 41 रुपये तक
एनटीपीसी अपने कुछ प्लांट डीजल से चला रहा है। इसके लिए उसने यूपीसीएल को जो रेट कोड किए हैं, वो न्यूनतम 24 रुपये से लेकर अधिकतम 41 रुपये प्रति यूनिट तक हैं। जिन्हें यूपीसीएल मैनेजमेंट ने एक सिरे से नकार दिया है।
आज यहां होगी कटौती
देहरादून, हरिद्वार, यूएसनगर, नैनीताल के ग्रामीण क्षेत्रों में आज कटौती होगी। इसके साथ ही औधोगिक क्षेत्रों में सेलाकुई, सिडकुल हरिद्वार, सिडकुल यूएसनगर में भी अघोषित कटौती को तैयार रहना होगा।
अक्तूबर, नवंबर, दिसंबर महीने के लिए शॉर्ट टर्म टेंडर किए गए थे। इन टेंडरों से बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी। इससे काफी राहत मिलेगी।
सतीश शाह, निदेशक कामर्शियल यूपीसीएल