देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम की ज्यादातर बसें खस्ता हालत में हैं। कभी-कभी ऐसे हालात हो जाते हैं कि बसों को खड़ा करना पड़ता है। ज्यादातर बसों के टायर खराब होने की वजह से आवागमन नहीं हो पाता है। इस वजह से न सिर्फ यात्रियों को परेशानी होती है बल्कि रोडवेज को भी राजस्व का नुकसान होता है। वही, दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कम करने के लिए वहां की केजरीवाल सरकार डीजल से चलने वाले पुरानी बसों की एंट्री कभी भी बंद कर सकती है। सरकार कई बार उत्तराखंड रोडवेज को इस बाबत पत्र भी भेज चुकी है।
परिवहन मंत्री चंदन राम दास का कहना है कि रोडवेज बसों के टायर की कमी होने की मामला सामने आया था। जिसके बाद उन्होंने अधिकारियों को टेंडर के निर्देश दिए हैं और जल्द ही टायरों की समस्या खत्म हो जाएगी। उन्होंने कहा कि चालकों की कमी को भी जल्द पूरा किया जाएगा, जिसके लिए वो लगातार संघर्षरत हैं। गौरतलब है कि कुमाऊं मंडल के अलग-अलग रोडवेज डिपो में 373 रोडवेज की बसें संचालित की जाती हैं। जिसमें करीब 150 बसें टायर और अन्य तकनीकी कारणों के चलते खड़ी हैं।
दून-दिल्ली रूट पर मुंबई की कंपनी इलेक्ट्रिक बसें चलाएगी। उत्तराखंड रोडवेज ने इस कंपनी को पांच बसें चलाने की अनुमति दे दी है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस रूट पर तीन महीने का ट्रायल होगा। यदि ट्रायल सफल रहा तो रोडवेज इस रूट पर अनुबंध के आधार पर शत-प्रतिशत इलेक्ट्रिक बसें चलाएगा। ट्रायल के तौर पर चलने वाली कंपनी की इलेक्ट्रिक बसों में रोडवेज का ही कंडक्टर रहेगा। कंपनी रोडवेज को पांच रुपये प्रति किमी के हिसाब से भुगतान करेगी। इसका किराया रोडवेज की वॉल्वो बस के बराबर होगा। इसके साथ ही यात्री बस की बुकिंग रोडवेज की वेबसाइट पर भी होगी। इसकी समयसारिणी भी रोडवेज की ओर से तय की जाएगी।