संसद में गूंजा पहाड़ों का दर्द ! | Anil Baluni | Uttarakhand News | CM Dhami | Parliament Session

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जी हां दोस्तो उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों का एक एसा दर्द जिसके समाधान के लिए अब केन्द्र सरकार से किसने कर दी दखल की मांग। कैसे निकलेगा इस बड़ी परेशानी का समाधान, कैसे पहाड़ा का मामला संसद तक पहुंच गया। Uttarakhand wild animal terror दोस्तो एक ऐसी खबर जिससे उत्तराखंड का पहाड़ी ईलाका मौजूदा वक्त पहुंत तकलीफ में है वो है जंगली जानवरों का आंतक। इस आतंक को लेकर मै खबर बता चुका हूं। ये कैसे उत्तराखंड के लिए एक नई परेशानी दिनों बनता जा रहा है, लेकिन अब जहां एक तरफ अपने प्रदेश वन हमकमें के पास इन इस मानव -वन्य जीव संघर्ष को लेकर कोई रणनीति नहीं तो वहीं गढवाल से आने वाले सांसद केन्द्र से मदद की गुहार लगा रहे हैं। क्या मदद मांगी जा रही है, कैसे होगा समाधान सब बताउँगा आपको। दोस्तो उत्तराखंड में इन दिनों जगंली जानवरों का आतंक है। आये दिन भालू, गुलदार के हमले की खबरें आ रही हैं। खासकर पौड़ी , रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिले में जंगली जानवरों का आतंक है। उत्तराखंड में जगंली जानवरों के आतंक का मुद्दा देश की संसद में उठाया गया। गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने लोकसभा में जगंली जानवरों का मुद्दा उठाया।

दोस्तो गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने कहा उत्तराखंड में वन्य जीवों के हमलों के कारण लगातार नागरिक अपनी जान गवां रहे हैं, घायल हो रहे हैं। ग्रामीणों का घर से निकलना , बच्चों का स्कूल जाना, महिलाओं का जंगल जाना खतरे से खाली नहीं है। इसके लिए त्वरित और कारगर रणनीति और कार्रवाई की आवश्यकता है। वैसे दोस्तो अलिन बलूनी ने प्रदेश के इस महत्वपूर्ण मद्दे को संसद में उठाकर ये तो बता दिया कि ये मामला बड़ा चुनौती पूर्ण है, लेकिन वहीं दूसरी ओर प्रदेश के वन मंत्री का अता पता नहीं है, तो केन्द्रीय वन मंत्री से गुहार लगानी पड़ रही है। दोस्तो गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों, विशेषकर गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से बढ़ रहे जंगली जानवरों के हमलों का मुद्दा गंभीरता से उठाया। गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने कहा कुछ दिनों पूर्व मैंने यह विषय केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव जी के समक्ष भी रखा था, ताकि इन बढ़ते हमलों पर तुरंत और प्रभावी कदम उठाए जा सकें।

दोस्तो अनिल बलूनी ने लोकसभा में बताया पिछले तीन हफ्ते में चार लोगों की मौत हो गई है। उन्होंने बताया पिछले कुछ हफ्तों में मानव वन्यजीव संघर्ष के मामलों में वृद्धि हुई है। पिछले तीन हफ्ते में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में 15 लोग घायल हुये हैं। भालू के हमले भी अचानक बढ़े हैं आमतौर पर इन दिनों में भालू के हमले नहीं होते हैं। बच्चों को लोगों ने स्कूल भेजना बंद कर दिया है। अंधेरा होते ही पहाड़ों पर कर्फ्यू जैसे हालात हैं। इसके अलावा गढ़वाल सांसद ने उत्तराखंड वन विभाग के पीसीसीएफ से आग्रह किया है कि जंगली जानवरों के हमलों की स्थिति की नियमित समीक्षा कर प्रतिदिन की रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाये. गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने कहा जनसुरक्षा सर्वोपरि है। इस विषय पर ठोस और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए वे लगातार प्रयासरत हैं तो दोस्तो उत्तराखंड के पहाड और वहां जंगली जानवरों के वार लगातार तेज़! इस बढ़ते खतरे पर अब सवाल उठने लगे हैं कि कौन करेगा लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी? क्यों केंद्र सरकार से लगाई मदद की गुहार और क्यों इस मुद्दे की गूंज अब संसद तक पहुंच गई? क्या केंद्र का हस्तक्षेप समाधान ला पाएगा, या पहाड़ के लोग यूं ही खतरे के साए में जूझते रहेंगे? ये तो वक्त बताएगा, लेकिन उत्तराखंड वन विभाग और मंत्री सुबोध उनियाल से सवालहोना चाहिए कि उन्होने अब तक क्या व्यस्था की है।