उत्तराखंड के लक्ष्य सेन ने थॉमस कप जीतकर प्रदेश का नाम किया रोशन, जानिए कौन हैं ये युवा

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अल्मोड़ा: उत्तराखंड में प्रतिभा की कमी नहीं है। आए दिन प्रदेश के नौजवान देश का सर ऊंचा करते है। इसी कड़ी में उत्तराखंड के बेटे लक्ष्य सेन का नाम जुड़ गया है। लक्ष्य ने भारतीय बैडमिंटन टीम को थॉमस कप जीताकर इतिहास रचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लक्ष्य सेन के दमदार खेल की वजह से टीम इंडिया ने 14 बार की चैंपियन इंडोनेशिया की टीम को पराजित कर यह कारनामा अपने नाम किया है। इस जीत की नींव किसी ओर ने नहीं बल्कि अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन ने रखी थी।

शटलर लक्ष्य सेन उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के निवासी है। लक्ष्य सेन का जन्म 16 अगस्त 2001 को हुआ। लक्ष्य सेन को छह वर्ष के उम्र में मैदान पर उतारने में दादा जी का बड़ा योगदान रहा। दादा ने हाथ पकड़कर पोते लक्ष्य को बैडमिंटन पकड़ना सिखाया। पिता और दादा जी के नक्शे पर चले लक्ष्य ने भी बैडमिंटन में ही प्रतिभा दिखाई। लक्ष्य सेन ने पहले ही मैच में इंडोनेशिया के ओलम्पिक मेडलिस्ट गिंटिंग को 9-21,21-17 व 21-16 से हरा कर जीत की बुनियाद रख दी थी। उसके बाद भारतीय खिलाड़ियों ने पीछे मुड़कर नही देखा। वह अपने बड़े भाई अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी चिराग से भी प्रेरित हुए।

लक्ष्य सेन आल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले पांचवें भारतीय शटलर हैं। लक्ष्य ने लिनिंग सिंगापुर यूथ इंटरनेशनल सीरीज में स्वर्ण, इजरायल जूनियर इंटरनेशनल के डबल और सिंगल में स्वर्ण, इंडिया इंटरनेशनल सीरीज के सीनियर वर्ग में स्वर्ण, योनेक्स जर्मन जूनियर इंटरनेशनल में रजत, डच जूनियर में कांस्य, यूरेशिया बुल्गारियन ओपन में स्वर्ण, ऐशिया जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, यूथ ओलंपिक में रजत, वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक समेत कई राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को पदक दिलाया है। इसी कड़ी में हाल ही में खेले गए थॉमस कप में लक्ष्य की जीत ने ही भारतीय जीत की नींव रखी। इसके बाद भारतीय टीम ने अन्य दो मैच जीतकर इंडोनेशिया को 3-0 से हराकर इतिहास रच दिया। इस मौके पर लक्ष्य सेन को हर तरफ से बधाइयां मिल रही हैं।