पेपर लीक मामले में एक बड़ा फैसला हुआ, प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सीबीआई जांच की संतुति कर दी, लेकिन ‘पेपर लीक’ मामले में CBI जांच के लिए किसने किया धामी को राजी?चर्चा में एक चिट्ठी। CBI Probe Into Paper Leak एक मुलाकात चर्चा में है दोस्तो वैसे क्रेडिट लेने वालों की एक लंबी लिस्ट आप देखेंगे, लेकिन वो एक मुलाकात और चिट्टी को बताने के लिए आया हूं क्या एक विधायक की उस मुलाकात की और उसके बाद सीएम ने बड़ा फैसला। दोस्तो पेपर लीक घोटाले की तपिश जब परेड मैदान से सचिवालय तक पहुंची तो मुख्यमंत्री धामी को आखिरकार झुकना पड़ा। लेकिन बड़ा सवाल ये — CBI जांच के लिए उन्हें राजी आखिर किसने किया? सिस्टम में हलचल थी, सड़कों पर युवाओं का हुजूम था और अब चर्चा में है एक चिट्ठी — वो चिट्ठी जिसने सीएम के फैसले की पटकथा लिख दी ये मेरे सावल है। क्या ये चिट्ठी थी असली प्रेशर प्वाइंट थी या बात वो बात थी इससे कुछ हुआ? या किसी अंदरूनी रणनीति का हिस्सा? पहले आप इस चिट्टी को देखिए। लिखी गई निर्दलीय विधायक खानपुर से विधायक उमेश कुमार ने ये रविवार रात की बात है। इस चिट्टी के माध्यम से उन्होंने युवाओं की परेशानी का हल करनी का मांग की अपील की और इससे पहले वो युवाओं से मुलाकात कर चुके थे। उनकी मांग को लेकर वो सीएम को एक चिट्ठी लिखते हैं।
इतना ही नहीं है अगले दिन वो सीएम धामी से मुलाकात करते हैं पहले चिट्टी के जरिए संवाद फिर खुद सीएम धामी से खानपुर से निर्दलीय विधायक ने मुलाकात की। उमेश कुमार के मुताबिक उनकी फेसबुक पोस्ट के मुताबिक, उन्होंने लिखा आज माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी से मुलाक़ात की और पेपर लीक मामले में सीबीआई जाँच हेतु ज्ञापन सौंपा। बीस मिनट चली इस मुलाक़ात में मुझे मुख्यमंत्री की भावना ये महसूस हुआ कि उन्हें भी बच्चों की तकलीफ़ की का एहसास है। उन्होंने कहा उमेश, बच्चे क्या हमारे नहीं है ? जो हुआ क्या उस से हमे ख़ुशी है ? क्या हम पीड़ा में नहीं है । मैं राज्य का मुखिया हूँ, मुखिया परिवार का संरक्षक होता है और अगर परिवार के बच्चों को तकलीफ़ है तो उसका निदान भी मैं ही करूँगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में की गई कार्यवाही पूरा देश देखेगा। मेरे सीबीआई जांच पर पुनः पूछने पर उन्होंने कहा, आप निश्चित रहो आपकी भी भावनाओं का संज्ञान ले लिया है। मैंने कहा सीबीआई जांच नहीं हुई तो मैं भी अनशन पर बैठूँगा, इस पर थोड़ा सा मुस्कुरायें और बोलो जाओ आप ये नौबत नहीं आएगी। ये खानपुर से निर्दलिय विधायक उमेश कुमार ने मुलाकत पर लिखा, दोस्तो इधर साम होते-होते वो फैसला हो गाय जिसकी मांग परेड मैदान में युवा कर रहे थे और जो अपील अपने पत्र के जरिए खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने की उसके बाद सीएम से मुलाकात भी थी।
जी हां दोस्तो पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की संतुति प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने युवाओं के बीच में पहुंच कर दी। वैसे कोई भी इस मामले कुछ भी क्रेडिट ले लेकिन एक बात सच है कि मेने नहीं देका किसी भी विधायक को नहीं देखा किसी ने लेटर लिखा और या फिर सीएम से सीबीआई जांच की मांग को लेकर युवाओं के हक में मुलाकात की हो। कई बार कई फैसले ऐसे भी लिए जाते हैं कि कुछ चीजों या कुछ मुलाकाते उस फैसले के पीछे अहमियत रखती हैं। वैसे धामी जी प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं वो कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन उमेश कुमार जैसे विधायक अगर युवाओं की चिंता को लेकर सीएम के पास जाते हैं तो इसकी चर्चा होना स्वभाविक है। कौइ और विधायक ने ऐसा क्यों नहीं किया होगा, फिर वो विपक्ष का कांग्रेस का ही क्यों ना हो, लेकिन उमेश कुमार की चिट्ठी और सीएम से मुलाकात की चर्चा हो रही है। दोस्तो जैसे ही ये खबर खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार तक पहुंची तो उन्होंने बिना देरी किए मुख्यमंत्री का धन्यवाद वाला बयान फेसबुक पर पोस्ट किया। इतना ही नही था दोस्तो विधायक उमेश कुमार ने नकल माफिया पर गहरी चोट की मांग कि और हाकम सिंह का जिक्र करते हुए युवाओं के भविष्य को लेकर चिंचा जाहिर की। तो दोस्तो एक परेशानी जो युवाओं की थी उसका समाधान तो नहीं लेकिन हां इतना जरूर हो गया कि अब पेपर लीक को लेकर सक्रिय प्रदेश में वो सिंडिकेट बेनकाब होगा जिसने न जाने कितने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया होगा। वैसे उम्मीद तो हर जनप्रतिनिधि से ये की जानी चाहिए की वो अपने युवाओ आपनी जनता की भावनाओं का सम्मान करें। यहां उमेश कुमार ने और जनप्रतिनिधियों के सामने एक मिसाल पेश की है कि नेता सिर्फ वोट लेकर विधायक बनने को नहीं कहते, उसे हर वक्त जनता के लिए खड़ा भी रहना पड़ता है।