जी हां दोस्तो अपने उत्तराखंड में 30 करोड़ा का फंड घोटाने का सच सामने के बाद होने जा रहा है बड़ा सियासी विस्फोट, इसमें कई नेताओं को जाना होगा जेल। बताउंगा आपको खनन से करोड़ों की उगाही का क्या है सच। BJP’s FD of Rs 30 crore दोस्तो इस खबर को लेकर आया मै आज आया हूं ये खबर अपने उत्तराखंड में भ्रष्टाचार पर सरकार की जीरो टोलरेंस नीति की पोल खोल देगी। ये खबर आपको इसलिए भी देखनी चाहिए क्योंकि यहां जो घपले में शामिल रहा वो खुद कैमरे के सामने कह रहा है कि मैने लाखों के चेक लिए, फिर भी कार्रवाई नहीं होती तो ये हमारी सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल उठाता है। मै बताउंगा आपको सरकारों की और नेता मंत्रीयों की कथनी और करनी में कितना फर्क हो ता है। अब उत्तराखंड में 30 करोड़ का फंड का घोटाला होगा, लोग छूप सरकार प्रशासन सब चुप किसी को कानों कान खबर तक नहीं लगी या इस पूरे मामले को छिपाने की कोशिश हुई। दोस्तो इस बड़े घोटाले की जांच हुई तो ये तय है कि बहुतरे बीजेपी नेताओं को जेल की हवा खानी पड़ेगी। हरकू दा का कहना है कि निशंक के टाइम पर स्टर्डिया मामले में एक ही दिन में फाइल पर नीचे से लेकर ऊपर तक साइन हो गये थे, आज की भाजपा सरकार में भी यही हो रहा है। यहां सवाल कई होने वाले हैं, दगड़ियो वैसे आजकल हरक सिंह रावत जो बयान दे रहे हैं।
वैसा कुछ हो रहा है अभी एक दिन पहले उन्होंने गैरसैंण विधानसभा सत्र को लेकर जो कहा वो ठीक वैसा ही हुआ। अब अगर इस मामले में सही से जांच हो जाए तो खुद हरक सिंह रावत और बीजेपी के कई नेता जेल में होंगे लेकिन जांच होनी चाहिए हां इमानदारी से। वैसे मै आगे आपको ये बताउंगा कि हरक सिंह रावत को अचानक से ये घोटाले, ये गैरसैंण के साथ होता सौतेला व्यवहार क्यों याद आ रहा है लेकिन अभी हरक सिंह रावत द्वारा किए गए इस बड़े धमाके के बारे में बात करता हूं। जिसने बीजेपी के साथ ही सरकार खुद मुख्यमंत्री धामी की नींद उड़ा दी है। दगड़िओ कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत ने भाजपा के किले पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि “भाजपा पार्टी को चलाने के लिए जो 30 करोड़ की एफडी बनी, उसमें माफियाओं का पैसा है, यानी साफ है — यह रकम आम जनता के पसीने की कमाई नहीं, बल्कि खनन, शराब और ठेकेदारी की काली कमाई है। दगड़ियो हरक सिंह रावत ने तो यहां तक कह दिया “एक करोड़ अकेले मैंने इकट्ठा करके दिया था। मेरी भी जांच हो। विस्तृत जांच हो जाए तो अच्छा रहेगा। वहा हरकू दा वाह यहां तो आपकी इमानदारी को सलाम है। हां जांच होनी चाहिए आपकी भी और उन नेताओं और पार्टी की भी जो काले धन को सफेद कर जनता को दिन में चारे दिखाने का काम कर रही है।
हरक सिंह रावत के बयान का मतलब उन्होंने खुद को भी कटघरे में खड़ा कर दिया ताकि सच सामने आ सके। यह बयान अपने आप में सत्ता की राजनीति को झकझोरने के लिए काफी है। वैसे कुछ लोग इस खबर को ऐसे दिखाएंगे नहीं जैसे मै दिखा रहा हूं या मै सवाल कर रहा हूं कोइ नहीं करेगा करेगा भी तो अपने को बचाकर लेकिन जब सच सामने है तो जांच तो होनी ही चाहिए ना। हो जाएगा दूध का दूध पानी का पानी। वैसे बीजेपी हमेशा अपने आप को “सबसे साफ और ईमानदार” पार्टी बताती रही है। लेकिन सवाल यह है कि आखिर यह 30 करोड़ रुपये आए कहां से? क्या ये पैसा उद्योगपतियों और माफियाओं से वसूला गया? क्या इसमें खनन माफिया का काला धन मिला हुआ है? क्या सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से यह रकम इकट्ठी की गई? दगड़ियों जब रावत जैसा कद्दावर नेता खुलकर यह आरोप लगा रहा है कि “माफियाओं का पैसा भाजपा के फंड में गया है”, तो जांच एजेंसियों का मौन समझ से परे है। वैसे ईडी वाले सीबीआई वाले तो ऐसे मामले पर दरवाजे पर ही बैठे रहने वाले ठेहरे बल लेकिन आज कहां हैं सब दगड़ियों हरक सिंह रावत ने साफ कहा कि भाजपा नेताओं ने ठेकेदारों और खनन माफियाओं से मोटा पैसा लिया और यह आरोप नया नहीं है — उत्तराखंड में खनन हमेशा से राजनीति का सबसे बड़ा धनस्रोत रहा है।
नेताओं की जेबें भरती हैं,सरकारी तंत्र आंखें मूंद लेता है,और पहाड़ की नदियां, जंगल और पर्यावरण लुटते रहते हैं। अब सवाल है — क्या भाजपा की 30 करोड़ की “एफडी” में वही लूटा हुआ धन नहीं गया है? गया है तो कोई जवाब देने के देने के लिए क्यों नहीं आता। ये मालमा तो बड़ा है राष्ट्रीय स्तर के वो लोग कहां गए बल जो छोटी बातों पर बड़ी-बड़ी प्रेस कांफ्रेंस करते थे। दगड़ियो हरक सिंह रावत ने यह भी याद दिलाया कि निशंक सरकार के समय स्टर्डिया मामले में एक ही दिन में फाइल पर ऊपर से नीचे तक साइन हो गए थे। यानी भ्रष्टाचार की पूरी चेन सक्रिय थी — अफसर से लेकर मंत्री तक..आज भी वही खेल दोहराया जा रहा है। भाजपा चाहे जितना नैतिकता का ढोल पीटे, लेकिन सच यह है कि सत्ता में आने के बाद भ्रष्टाचार और खुलकर हो रहा है। वैसे हरक सिंह रावत ने अब बात छेड़ ही दी है, तो बीजेपी के असल चेहरे को लेकर सवाल हो सकता है। बीजेपी चुनावों में करोड़ों खर्च करती है। करोड़ों के विज्ञापन चुनावी रैलियों का तामझाम,नेताओं का ऐशोआराम —ये सब आम जनता के चंदे से नहीं होता। क्या इसके पीछे वही काला धन है, जो खनन माफिया, शराब माफिया और ठेकेदारों की जेब से निकलता है अगर जांच हुई तो।
हरक सिंह रावत ने साफ कहा है —जांच होगी तो भाजपा के सारे बड़े नेता जेल में होंगे। सोचिए, अगर सचमुच स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हुई तो क्या होगा? 30 करोड़ की यह एफडी सिर्फ शुरुआत सी लगतीहै है इसके पीछे शायद सैकड़ों करोड़ का खेल छिपा हो हो सकता है और अगर सब उजागर हो गया तो भाजपा का “ईमानदारी का ढांचा” ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएगा दगड़ियों। देश की जनता महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रही है। उत्तराखंड का पहाड़ खाली हो रहा है, नौजवान पलायन कर रहे हैं लेकिन भाजपा के नेता माफियाओं से करोड़ों बटोरकर “एफडी” बनवा रहे हैं। जो हरक सिंह रावत कह रहे हैं। वैसे बीजेपी को जनता को बताना होगा कि 30 करोड़ की यह एफडी कहां से आई..क्या भाजपा यह मानने को तैयार है कि इसमें खनन और ठेकेदारी का काला धन शामिल है?या फिर हरक सिंह रावत के आरोपों को सिर्फ “राजनीतिक बयान” कहकर टाल देगी?लेकिन सवाल यह है कि अगर यह आरोप झूठ है तो भाजपा खुद क्यों जांच की मांग नहीं कर रही? आगे न जाने क्या होगा लेकिन हां हरक सिंह रावत को लेकर एक खबर हाल ही में आई है शायद आप तक पहुंची या नहीं मै नहीं जानता वो ये कि पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को पाखरो सफारी केस में CBI से मिल क्लीन चिट गई ये दावा भी हरक सिंह रावत ही कर रहे हैं।