बेहद दिलचस्प खबर के साथ आज में आपके सामने हूं, उत्तराखंड में कांग्रेस ने चला ऐसा ब्रह्मास्त्र जिससे BJP लड़खड़ा कर पहुंची बैकफुट पर, क्या मै ये कह सकता हूं इस खबर के आधार जिससे में बताने जा रहा हूं। जी हां दोस्तो सवाल तो ये भी है कि क्या कांग्रेस मिल गई ‘2027’ की संजिवनी मिल चुकी है। तमाम सवाल के जवाब लेकर आया हूं बताउंगा आपको कैसे। दगड़ियों कांग्रेस वालों की तऱफ से जो तस्वीरे धड़ा-धड़ शेयर की जा रही हैं इधर से उधर। वो कह रहे बल कांग्रेस की धड़े बाजी अब बिल्कुल खत्म हो चुकी है। 2027 की तैयारी में कांग्रेस पूरी ताक़त से मैदान में है। उत्तराखंड की राजनीति एक बार फिर तपने लगी है। चुनाव अभी डेढ़ साल दूर हैं लेकिन राजनीतिक तापमान में उबाल अभी से देखा जा सकता है। जहां सत्ता में बैठी बीजेपी अपने कामकाज को लेकर घिरी हुई है, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस अब हर मोर्चे पर आक्रामक होती नजर आ रही है…दगड़ियों 2022 में कांग्रेस को झटका जरूर लगा, लेकिन अब उत्तराखंड की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने रणनीतियों को धार देने की कवायद में जुट गई है। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा मानसून सत्र विपक्षी दल कांग्रेस के लिए एक वरदान के रूप में देखा जा रहा है। जिसकी मुख्य वजह यही है कि इस मानसून सत्र के चलते कांग्रेस के नेता पूरी तरह से एकजुट नजर आए। दगड़ियों पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2022 में, 70 में से 47 सीटें बीजेपी ने जीतकर बहुमत का परचम लहराया।
कांग्रेस महज 19 सीटों पर सिमट गई। BSP और निर्दलीय के खाते में 2-2 सीटें गईं कुल मिलाकर, कांग्रेस के लिए यह हार सिर्फ एक चुनावी झटका नहीं थी, बल्कि नेतृत्व, रणनीति और जनसमर्थन में कमी का सबूत थी, हाल ही में संपन्न हुआ विधानसभा मानसून सत्र कांग्रेस के लिए किसी वरदान से कम नहीं रहा। ऐसा मेरा नहीं कांग्रेसियों का मानना है। उसका जोश भी कुछ ऐसा था, दगड़ियों शायद ये उत्साह तभी होगा बल, जो लोग बीजेपी से कांग्रेस में आए और अब वही लोग बीजेपी को खूब खरीखोटी सुना रहे हैं जो सुना नहीं पा रहा वो समर्थन दे रहे हैं। कुछ समय के लिए तो ऐसा लगा कि हरक सिंह रावत अकेले ही हैं, लेकिन बात में हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिए समर्थन दिया तो, नेता प्रतिपक्ष ने खुले तौर पर समर्थन दे दिया और मौका भी था दस्तूर भी था तो बीजेपी को खूब सूना भी दिया। दोस्तो जहां पहले पार्टी अंदरूनी खींचतान और गुटबाज़ी से जूझ रही थी, वहीं इस बार सत्र के दौरान एकजुटता की छवि सामने आई। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य से लेकर अन्य विधायकों तक — सभी एक सुर में बोलते दिखे। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (हरदा) ने मंच से सबकी पीठ थपथपाई और कांग्रेस में नई जान फूंकी, यह कांग्रेस का वो रूप था जो 2022 में गायब था।
इधर हरक सिंह रावत के मुकाबले के बीजेपी ने खजान दास को मैदान में उतार दिया। उन्होंने कह दिया कि कांग्रेस के लिए बनेंगे सिरदर्द। साथ रावत को बीमार बता अच्छे डाक्टर से इलाज करनाने की सलाह भी दे दी 22 अगस्त कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन या रणनीति की शुरुआत? ये वो सवाल है जिसका जवाब कांग्रेस के कार्यक्रता भी खोज रहे होंगे बल, देहरादून में 22 अगस्त को कांग्रेस कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में। सभी विधायकों को सम्मानित किया गया मंच से यह संदेश दिया गया कि 2027 में सत्ता वापस लाने का संकल्प अब पार्टी ने ले लिया है। दोस्तो हरीश रावत से लेकर यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह, करन माहरा और गणेश गोदियाल – सब एक मंच पर थे। ये सिर्फ सम्मान समारोह नहीं था, बल्कि 2027 का बिगुल था। ऐसा कांग्रेस कह रहे हैं, अब ये बिगुल 27 तक यूं बजेगा या बीच में इसमें छेद हो जाएंगे ये देखना होगा। कांग्रेस का आक्रामक एजेंडा है कि BJP के असली चेहरे को उजागर करेंगे तो 2024 की लोकसभा में उत्तराखंड की 5 की 5 सीटें जीतने वाली बीजेपी को अब कांग्रेस घेरने की तैयारी में है। दगड़ियों कांग्रेस वाले कह रहे है बल “बीजेपी ने लोकतंत्र और पंचायती राज की हत्या की है। अब गांव-गांव जाकर इसका पर्दाफाश किया जाएगा।”ये भाषा अब चुप रहने वाली कांग्रेस की नहीं, बल्कि लड़ने को तैयार कांग्रेस की है।दगड़ियों हरीश रावत ने साफ कर दिया कि कांग्रेस अब सिर्फ शहरों में संवाद नहीं करेगी। एक बड़ी यात्रा निकाली जाएगी गांव-गांव जाकर BJP की नीतियों की असफलताओं को जनता तक पहुंचाया जाएगा। यात्रा की कमान यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह, करन माहरा और गणेश गोदियाल जैसे नेता संभालेंगे। यह रणनीति केंद्रित नेतृत्व नहीं, बल्कि साझा नेतृत्व मॉडल की ओर इशारा करती है, और कांग्रेस को ये लगता है कि इससे उससे 2027 में जीत मिलेगी।