जी हां दोस्तो उत्तराखंड में शादी की परंपरा में बड़ा बदलाव होने वाला है, 25 गांवों में अब ‘सूखी शादी’ होगी, जहां महिलाएं केवल 3 ही जेवर पहनेंगी, लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है और ये कदम क्यों उठाया गया है। Changes in wedding traditions in Uttarakhand ये बताने के लिए आया हूं, कैसे अब शादी में भव्यता नहीं, सादगी को मिल रहा बढ़ावा। जी हां दोस्तो उत्तराखंड में शादी की परंपरा में बड़ा बदलाव, शादी में अब नशे पर सख्त पाबंदी, उल्लंघन पर जुर्माना तय। महिलाएं सिर्फ तीन गहने पहनेंगी, भव्यता को मिलेगा सादगी का रूप लेकिन सवाल ये है—क्या ये बदलाव परंपराओं को चुनौती देगा या अपनाया जाएगा। जौनसार बावर की खत शैली के ग्रामीणों ने बैठककर समाज हित के नौ अहम फैसले लिए, पहले जल्दी जल्दी उनके बारे में आपको बता देता हूं, फिर खबर को विस्तार से बताउंगा। सर्वसम्मति निर्णय लिया गया कि वैवाहिक कार्यक्रमों में अब अंग्रेजी शराब या बियर और फास्ट फूड (चाऊमीन, मोमो, टिक्की, चाट) नहीं परोसे जाएंगे। ऐसे कार्यक्रमों में महिलाएं नाक में फुली, कान में झुमकी या तूंगल और गले में कांडुडी या मंगलसूत्र ही पहन सकेंगी। दोस्तो यहां खास बात ये है कि इन फैसलों का उल्लंघन करने वाले परिवार के कार्यक्रम में खतवासी शामिल नहीं होंगे। साथ ही संबंधित परिवार से एक लाख रुपये दंड वसूला जाएगा। दरअसल दोस्तो जौनसार बावर एक फिर अपने भाइचारे और एकता को लेकर चर्चाओं में आ गया है। अब यहां के 25 गांव ने एकता की मिसाल कायम की है। इन गांव में अब शादी में अंग्रेजी शराब और फास्ट-फूड जैसे चीजें नजर नहीं आएगी, साथ ही यहां की महिलाएं सोने की अंबार नहीं बल्कि तीन गहने ही पहनेंगी। पहाड़ों पर परंपराओं में समय के साथ इस तरह के लगातार हो रहे बदलाव क्या कहते हैं ये बताने के लिए मै आया हूं।
दोस्तो देहरादून जनपद के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर की खत शैली में आने वाले 25 गांव के लोगों ने समाज सुधार आंदोलन की शुरुआत कर दी है। यहां के लोगों ने बीते दिनों एक सामूहिक बैठक में 9 अहम फैसले लिए हैं। यहां खुली बैठक में निर्णय लिया गया कि वैवाहिक कार्यक्रमों में अब अंग्रेजी शराब या बियर और फास्ट फूड नहीं परोसे जाएंगे। इसके साथ ही कार्यक्रमों में महिलाएं तीन गहने ही पहन पाएंगी यानी कि नाक में फुली, कान में तूंगल और गले में मंगलसूत्र। खास बात यह है कि इन निर्णयों का उल्लंघन करने वाले परिवार के कार्यक्रम में खतवासी शामिल नहीं होंगे। साथ ही संबंधित परिवार से एक लाख रुपये दंड भी वसूला जाएगा। दोस्तो बैठक में लिए गए फैसले में रहिणी भोज में मिठाई व फल दिए जा सकते हैं, लेकिन ड्राई फ्रूट व गिफ्ट नहीं दिए जाएंगे। उपहार स्वरूप चांदी का सिक्का देना भी प्रतिबंधित रहेगा। इससे पूर्व चकराता तहसील की ग्राम पंचायत खारसी, मानुवा, गेहरी, कंदाड़ आदि में भी महिलाओं के अधिक आभूषण पहनने पर प्रतिबंध से संबंधित फैसले लिए जा चुके हैं। फैसले के तहत महिलाएं केवल सोने के तीन गहने ही पहन सकती हैं। इस फैसले से इन गांव की महिलाएं भी खुश है। दोस्तो इसे समाज सुधार आंदोलन के पीछे की वजह बढ़ती मंहगाई और दिखावे की प्रवृत्ति को कम, साथ ही गरीबी अमीरी के बीच बढ़ती खाई को कम करना है। अब यहां कि शादियों में नशा और फास्ट फूड और महिलाएं गहनों के अंबार में नजर नहीं आएगी। यहां बता दूं कि उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के गांवों में शादियों में सादगी और समानता लाने के लिए नए नियम लागू किए गए हैं। इन नियमों के तहत महिलाओं को सिर्फ तीन सोने के गहने पहनने की इजाजत है और शराब पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई। ये पहल समुदाय द्वारा की गई है ताकि शादियों का खर्च कम हो, धन का दिखावा रुके और बढ़ती सामाजिक उम्मीदों के बोझ से परिवारों को बचाया जा सके।
चकराता के कंदहाड़ और इंड्रोली गांवों में पंचायत ने फैसला सुनाया है कि महिलाएं शादी में केवल नथुनी, मंगलसूत्र और कान की बालियां ही पहन सकेंगी। नियम तोड़ने वाले परिवारों पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यह फैसला महिलाओं की आपसी बातचीत के बाद लिया गया, जिन्होंने कहा कि सोने की बढ़ती कीमतें और गहनों को लेकर सामाजिक दबाव गरीब परिवारों पर भारी पड़ रहा था। वहीं महिलाओं का कहना है कि शादियों में महिलाओं को सामुदायिक भोजन के लिए बुलाया जाता है, सोना इसे बोझ बना रहा था। हर साल दबाव बढ़ता था – ज़्यादा गहने, ज़्यादा ताने अब हमने फैसला किया है कि हम सब वही तीन चीज़ें पहनेंगे, और यह काफी है तो दोस्तो, जौनसार बावर के इन 25 गांवों ने समाज सुधार की मिसाल कायम कर दी है। शादी अब सिर्फ दिखावे का पर्व नहीं, बल्कि सादगी, अनुशासन और समाज हित का संदेश बनेगा। देखना दिलचस्प होगा कि यह बदलाव कितनी जल्दी पूरे क्षेत्र में अपनाया जाएगा।