उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू ऑपरेशन में क्यों लग रहा इतना वक्त? ड्रिलिंग का काम रोका गया..हाथ से हटाया जाएगा मलबा

उत्तरकाशी रेस्क्यू ऑपरेशन का काम आखिरी चरण में है। उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में अभी 12 मीटर खुदाई होनी बाकी है।

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उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में 41 मजदूरों की जिंदगी को बचाने की जद्दोजहद जारी है। Uttarkashi Tunnel Rescue Operation उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में अभी 12 मीटर खुदाई होनी बाकी है। बीते चार दिनों से उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में ऑगर मशीन ताबड़तोड़ काम कर रही है। कई बार खराब होने के बाद भी मशीन ऑपरेटर्स ने हार नहीं मानी। जिसका नतीजा है कि बीते 2 दिनों में आधे से अधिक खुदाई ऑगर मशीन से हो रही है, लेकिन ऑगर मशीन के सामने लोहे जैसी कोई चीज दुबारा आने के बाद मशीन से ड्रिलिंग का काम रोकने का फैसला लिया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब मैनुअली ही मलबा हटाने का काम किया जायेगा। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी के लेफ्टिनेंट जनरल सैयद हसनैन ने बताया है कि रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद सुरक्षित तरीके से चल रहा है। टनल में फंसे श्रमिक ठीक हैं। कहा कि हिमालयन जियोलॉजी इतनी आसान नहीं है कि कुछ भी आसानी से बोला जा सके। देश भर से पब्लिक सेक्टर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटा हुआ है और जल्द ही 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया जाएगा।

मीडिया को जानकारी देते हुए सैयद हसनैन ने कहा कि यह बेहद मुश्किल और चुनौतियों भरा रेस्क्यू ऑपरेशन है। यह किसी युद्ध से कम नहीं है। केंद्र सरकार का प्रयास है कि ऑपरेशन में कोई भी कमी ना रहे और सभी को सकुशल सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाए। बताया कि ऑगर मशीन में आई दिक्कत के कारण कल ड्रिलिंग रोक दी गई थी। टनल में इतना मलबा भरा हुआ है कि आगे का कुछ पता नहीं चलता कि कहां पर क्या फंसा हुआ है। वहीं टनल में जो पाइप रेस्क्यू के लिए डाले जा रहे हैं उसमें भी बेंड आ गया था, जिसको लगभग दो ढाई घंटे की मशक्कत के बाद काटा गया। वहीं लगातार चलने से ऑगर मशीन का बेस भी हिल गया था। इतनी वजनी मशीन के कंपन के कारण बेस के साथ मशीन के नट-बोल्ट भी ढीले हो गये थे। मशीन को दोबारा इंस्टॉल कर उसका बेस सेट किया गया और नट बोल्ट नए सिरे से कसे गए।