Uttarakhand Poltics News: महाराष्ट्र के राजभवन से विदाई के बाद अब भगत सिंह कोश्यारी के उत्तराखंड पहुंचने सेपहले ही सियासत गरमा गई है। भाजपा के साथ ही कांग्रेस में भी इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर भगतदा की नई पारी क्या होगी। भगत सिंह कोश्यारी ने भले ही पढ़ाई-लिखाई समेत सामाजिक गतिविधियों में समय बिताने की इच्छा जताई हो, लेकिन उत्तराखंड में रहते हुए भी राजनीति से वह स्वयं को शायद ही अलग रख पाएंगे। भगतदा के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है। वह अपने इस अनुभव को अन्य के साथ साझा कर राज्य के विकास में अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं। ऐसे में तीन साल के अंतराल के बाद अब उत्तराखंड में फिर से उनकी सक्रियता दिख सकती है।
भगत सिंह कोश्यारी ने करीब साढ़े 3 साल महाराष्ट्र के राज्यपाल के रुप में अपनी भूमिका निभाई। लेकिन उनका ये कार्यकाल विवादित बयानों से घिरा रहा। इस बीच वे उत्तराखंड की सियासत में भी किसी न किसी तरीके से अपनी सक्रिय दिखते रहे। बीच-बीच में कोश्यारी उत्तराखंड प्रवास पर भी आते रहे। पुष्कर सिंह धामी को सीएम की कुर्सी तक पहुंचाने में भगतदा की अहम भूमिका मानी जाती है। कोश्यारी धामी के राजनैतिक गुरु भी हैं। अब जब कोश्यारी उत्तराखंड आ रहे हैं, तो इससे भाजपा संगठन में अंदरखाने कई तरह की चर्चा शुरू हो गई है। यही नहीं, भगतदा की अपरिमित राजनीतिक क्षमताओं का देखते हुए भाजपा नेतृत्व नहीं चाहेगा कि वह राजनीति से दूर रहें। राज्य में उनकी छवि एक बड़े राजपूत नेता की तो है ही, जातिगत समीकरण को देखते हुए उनकी उपस्थिति ही भाजपा के लिए बड़ा संबल देने वाली होगी।