Tiger Safari Case: कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के पाखरो में टाइगर सफारी के बहुचर्चित मामले में विजलेंस द्वारा सेवानिवृत्त आइएफएस किशन चंद समेत अन्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किए जाने के बाद अब जांच की आंच में टाइगर सफारी से जुड़े अधिकारियों समेत कुछ अन्य लोग भी झुलस सकते हैं। इसे लेकर वन विभाग में दबी जुबां चर्चा हो रही है, लेकिन कोई खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहा है। अब वन विभाग में इन अन्य को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। बिना वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति के यहां लंबे समय तक काम चलता रहा और इसकी किसी को खबर तक नहीं हुई।
ऐसे में विभाग ही नहीं शासन और तत्कालीन वन मंत्री की भूमिका तक पर सवाल उठ रहे हैं। शुरू में इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बताकर प्रचारित किया गया। टाइगर सफारी निर्माण में अवैध निर्माण और पेड़ काटे जाने की बात सामने आने के बाद विभाग को स्पष्ट करना पड़ा कि इस योजना से पीएम मोदी या पीएमओ का कोई लेना-देना नहीं है। कहीं यह छोटी मछली को फंसाकर, बड़ी को बचाने की जुगत तो नहीं है। इस मामले में पहले ही कुछ अफसरों पर कार्रवाई हो चुकी है। पहली गाज पाखरो में तैनात रेंजर पर गिरी थी, उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कार्यकाल में पाखरो में 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी बनाने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए वन भूमि हस्तांतरण के साथ ही राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से अनुमति लेने संबंधी सभी औपचारिकताएं पूरी की गईं, लेकिन इसकी स्थापना को लेकर जो अफरा तफरी मचाई गई, उसमें संरक्षित क्षेत्र के नियम-कायदों को दरकिनार कर दिया गया। ऐसा क्यों और किसके इशारे पर किया गया, ये जांच का विषय है। मामला तब खुला जब अवैध कटान और निर्माण की शिकायत मिलने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने स्थलीय निरीक्षण कर शिकायतों को इसे सही पाया। साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध् कार्रवाई की संस्तुति की।
इस बीच शासन ने प्रकरण की विजिलेंस जांच कराई तो इसमें भी कदम-कदम पर गड़बड़ी की बात सामने आई। शासन से अनुमति मिलने के बाद विजलेंस अब सेवानिवृत्त आईएफएस किशन चंद समेत अन्य के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर चुकी है। साफ है कि मुकदमे में जैसे-जैसे जांच पड़ताल आगे बढ़ेगी, उसमें कई अन्य नामों का जुड़ना तय है। माना जा रहा है कि प्रकरण में टाइगर सफारी से जुड़े अधिकारियों, ठेकेदारों के साथ ही कुछ बड़े नामों पर भी गाज गिर सकती है।