Uttarakhand Poltics: उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने के प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी के वादे को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस नेता आर्य ने कहा है कि और कई वादों, घोषणाओं की तरह प्रधानमंत्री मोदी का साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा भी हवा-हवाई सिद्ध हो रहा है । किसानों की आय दोगुनी करने का प्रधानमंत्री का वादा और ज़मीनी सच्चाई एक दूसरे के ठीक उलट है।
यशपाल आर्य ने कहा कि 28 फरवरी 2016 को एक चुनावी रैली में अपने चिर-परिचित अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की भीड़ से पूछा था, ” क्या 2022 में किसानों की आय डबल करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए ? जबाब स्वाभविक था, भीड़ ने एक सुर में कहा था, “हां होनी चाहिए…” उस रैली में पीएम मोदी ने वादा किया कि 2022 में जब भारत की आजादी के 75 साल पूरे होंगे तो उस समय तक हम किसानों की आय को दोगुनी कर देंगे। लेकिन आज हक़ीक़त में मानसून की विफलता, सूखा, आपदा, कीमतों में वृद्धि, ऋण का अत्यधिक बोझ आदि परिस्तिथियों के कारण देश में हर महीने 70 से अधिक किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
आर्य ने कहा कि खेती में काम आने वाले बीज, उर्वरक, कीटनाशक और डीजल सहित मजदूरी भी इन आठ वर्षों में दोगना से भी अधिक हो चुकी है। किसानों के पास अच्छी गुणवत्ता के बीज नहीं हैं। जिस अनुपात में खेती के खर्चे बड़े हैं उस अनुपात में खेती-किसानी से होने वाली आय नहीं बड़ी है। आर्य ने कहा कि देश के चालीस फीसद हिस्से की खेती बगैर सिंचाई वाली है, जहां कम पानी की फसलों के बीज की आवश्यकता रहती है। मगर सरकारी प्रयास किसान की आवश्यकताओं से मीलों दूर हैं। इन परिस्थितियों में किसानों की आय दोगुना होना तो दूर खेती में लगी लागत का पैसा भी नहीं निकल पा रहा है।
यशपाल आर्य ने कहा है कि फसलोत्पादन में बढ़ोतरी और किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में खेतों तक सिंचाई योग्य पानी मुहैया कराना सबसे बड़ी जरूरत है। वर्ष 2019 में आई पलायन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक़ उत्तराखंड की 66% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। इसमें से 80% से अधिक आबादी पर्वतीय ज़िलों में हैं। पहाड़ों में किसानों की जोत बेहद छोटी और बिखरी हुई है। यहाँ सिर्फ़ 10% खेतों में सिंचाई की सुविधा है। राज्य की बाकी खेती मौसम पर निर्भर करती है। ये स्थिति तब है जब 16330 गांव और लघु सिंचाई की 26211 योजनाएं हैं, बावजूद इसके सिंचाई व्यवस्था बदहाल है।