उत्तराखंड के ‘Mandua (Finger millet)’ की दीवानी हुई दुनिया

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आखिर क्या है उत्तराखंड का ‘मडुआ’… जिसकी दुनिया में हो रही मांग… लोगों किसी भी कीमत पर अपने किचन में रखना चाहते बरकरार, उत्तराखंड के ‘मडुआ’ का असर दुनिया के पटल पर छा रहा… कलतक जो गरीबों का था सहारा… अब वो अमीरों की जिंदगी का है आसरा ! कई मर्ज की दवा है ये सुपरफूड… फायदे जानकर हो जाएंगे हैरान… महिलाओं को जरूर करना चाहिए सेवन…

मडुआ का आटा या मडुए की फसल उत्तराखंड में परंपरागत रूप से पैदा की जाने वाली गर्म तासीर वाली फसल है… मडुआ में प्रोटीन, फैट, खनिज आदि पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं…. पहाड़ों में इसे सर्दियों का राजा भी कहा जाता है… मडुआ का आटा आज न सिर्फ राज्य भर तक सीमित रह चुका है बल्कि, इंटरनेशनल लेवल पर रईसों की लिस्ट में भी ये शामिल हो गया है… वैसे तो मडुआ का आटा शरीर को कई फायदे और बीमारियों से दूर रखता है लेकिन, ठंड के मौसम में इसका महत्व और बढ़ जाता है. मडुवे के आटे से न केवल रोटी बनाई जाती है बल्कि, हलवा, बिस्किट केक आदि कई व्यंजन अब तैयार किए जा रहे हैं… मडुआ में प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, ट्रिपटोफैन, मिथियोनिन, फाइबर, लेशिथिन, फास्फोरस, कैरोटीन और कार्बोहाइड्रेट आदि की भरपूर मात्रा पाई जाती है जो शरीर के लिए आवश्यक और फायदेमंद है…

पारंपरिक तौर पर उत्तराखंड में इस आटे से केवल चून की रोटी, बाड़ी या पल्यो, सीडे़, डिंडके ही बनाए जाते थे… लेकिन कोविड महामारी के दौरान पश्चिमी देशों में भारत के खानपान को लेकर जब आकर्षण बढ़ा… भारत ने इसका प्रमाण कोविड-19 महामारी में पूरे विश्व को दिया है… यहां अत्यधिक जनसंख्या होने के बावजूद भी अन्य देशों की तुलना में कम मौतें हुईं… इसके लिए हमारे देश की इम्युनिटी और यहां के खानपान को बड़ी वजह माना जा रहा है… वहीं, देश में पैदा होने वाले अनाजों को लेकर भी पश्चिमी देशों में खासा आकर्षण देखने को मिला है…मडुआ या रागी इसे पश्चिमी देशों में इम्युनिटी बूस्टर और अन्य पोषक तत्वों के लिए काफी पसंद किया जा रहा है… अब धीरे धीरे इसके गुणों को पहचानते हुए इसकी पैदावार उत्तराखंड में बढ़ाई जा रही है और नए नए प्रयोगों के साथ बाजार की मांग के अनुसार आज मंडुए की बिस्कुट, ब्रेड, नमकीन, मिठाई, हलवा, उपमा, चिप्स, डोसा सब तैयार किया जा रहा है…

Nus Community: Finger millet

मडुआ जल्दी से खराब भी नहीं होता और न कीड़े पड़ने का डर रहता है…कल तक पहाड़ पर इसे गाय भैंस को देने वाला चोकर के समान माना गया लेकिन कभी कौड़ियों के भाव बिकने वाला मंडुआ आज बाजार में 40 से 60 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रहा है… इसके लिए उत्तराखंड एक ग्लोबल हब के रूप में विकसित हो रहा है….उत्तराखंड में शायद ही कोई ऐसा घर हो जो मंडुए से अछूता हो… पहले बच्चों को ये कह कर बहलाया जाता था कि इसे खाकर लोग काले होते हैं लेकिन फिर भी इसका सेवन सभी ने किया… सच कहा जाए मंडुए की रोटी के साथ हरी चटनी, घी और चाय का स्वाद लाजवाब होता है… आज भी इस काली रोटी के आगे अच्छे अच्छे पकवान भी फीके लगते हैं… आइए जानते हैं मडुआ को खाना कितना फायदेमंद है….

मडुवे की रोटी में फाइबर अधिक मात्रा में पाए जाते हैं जो वजन घटाने में मददगार है….
शरीर की हड्डियां मजबूत बनी रहें इसके लिए कैल्शियम बेहद जरूरी है… मडुवे की रोटी में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है…इसके नियमित सेवन करने से ओस्टियोपोरोसिस का खतरा कम हो जाता है
डायबिटीज के मरीजों को भूख कम लगती है… मडुवे की रोटी ग्लूटन फ्री होती है जो डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद है
मडुवे की रोटी शरीर में बीपी के लेवल को भी मेंटेन रखती है… इसके अलावा जिन महिलाओं में दूध की कमी होने लगती है उनके लिए मडुवा फायदेमंद है.
मौसम में परिवर्तन होने की वजह से वायरल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है… मडुवे की रोटी का सेवन करने से जुखाम, सर्दी, गला दर्द, खराश आदि की समस्या नहीं होती.

तो देखा आपने उत्तराखंड के मडुआ के इस्तेमाल से कितने फायदे…. इसलिए फास्ट फूड को तवज्जो देने वाले वेस्टर्न वर्ल्ड को उत्तराखंड का मडुआ भा रहा है…