कौन है Praveen जिसने सुरंग में अपनी जान की नहीं की परवाह | Uttarakhand Tunnel collapse

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टनल में 45 मीटर गई पाइप में आया सरिया तो इस शख्स ने ली जिम्मेदारी और अंदर चला गया !
गोरखपुर के प्रवीण यादव की हिम्मत देख दूसरे इंजिनियर के छूटे पसीने..बोले ऐसा कभी नहीं देखा !
मजदूरों से सिर्फ 10 मीटर पहले जाकर सरिया काट दिया…बिना ऑक्सीजन के बिता दिए 3 घंटे !

उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों को अभी तक क्यों नहीं निकाला जा सका है…आज हम इसी रिपोर्ट पर बात करेंगे…ऐसी कौन सी कमी है जिसकी वजह से मजदूरों को अभी तक नहीं निकाला जा सका है…13 दिन से मजदूर ऐसी जगह हैं जहां सिर्फ अंधेरा है…यानी बिना धूप के ही अंधेंरे में जिंदगी बिता रहे हैं…लेकिन अभी तक उन्हें नहीं निकाला जा सका है…देश ही नहीं..बल्कि अमेरिकी एक्सपर्ट भी आ चुके हैं…लेकिन अभी तक सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है….पूरी टीम में सिर्फ एक ऐसा शख्स है..जिसने बड़ी हिम्मत दिखाई है…क्योंकि पाइप के भीतर जाकर सरियों को काटना ये हर किसी के हाथ में नहीं है…लेकिन ये शख्स ऐसा कर सकता है…ये तय था…और कोई भी ऐसा नहीं कर सकता….मजदूरों को जिस पाइप से निकाला गया था…उसी पाइप में जाकर मजदूरों से 15 मीटर पहले ही एक बड़े सरियों को काट कर निकाल लाया..ये आसान नहीं था…क्योंकि इतना करने के लिए भी बड़ी चुनौतियां थीं…उन चुनौतियों के आगे निकलकर ऐसा करना बहुत ही कठिन था…उस शख्स ने बताया कि…किस तरह से इस मिशन को अंजाम दिया…और इसके लिए क्या क्या खतरा था…जिससे उबरकर निकलना था…

टनल में ऑगर मशीन से करीब 45 मीटर की ड्रिल हो चुकी थी..अबी भी 60 मीटर ड्रिलिंग बाची थी…लेकिन रास्ते में ही ड्रिल मशीन की ब्लेड टूट गई…किसी को समझ नहीं आया कि..ये कैसे हो गया…फिर पता चला कि..एक मोटे सरिये ने रेस्क्यू पर ब्रेक लगा दी है…अब उम्मीदों की इस किरण में निराशा हो उठी…मजदूरों के इतने करीब पहुंचने के बाद..हम फेल न हो जाएं…क्योंकि दोबारा से ड्रिल करने में और भी वक्त लग सकता है….आखिर इस फिर याद किया गया प्रवीण कुमार यादव को…गोरखपुर के रहने वाले प्रवीण कुमार यादव को रंग, खाई व संकड़ी जगहों पर सरिए, स्‍टील, सीमेंट व कंक्रीट काटकर बंद रास्‍ता खोलने में महारत हासिल है….सुरंग कितना भी खतरनाक क्यों न हो…प्रवीण कुमार यादव अपनी जान की चिंता किए बिना…जोखिम उठा लेते हैं…और मिशन को भी कंपलिट कर लेते हैं..प्रवीण ने एक बार फिर से वही किया…जब ऑगर मशीन की ब्लेड टूटी तो फिर मशीन को अनस्टांल कर दिया गया…और फिर प्रवीण यादव ने सुरंग के भीतर जाने की योजना बनाई….

मिशन को कामयाब बनाने के बाद प्रवीण कुमार यादव कहते हैं कि मैंने और बलविंदर ने रात को यह चुनौती स्‍वीकार की और तमाम सुरक्षा उपाय बरतते हुए कटिंग मशीन साथ लेकर एस्‍केप टनल में घुसे…. जगह कम होने की वजह से घुटनों के बल जाना पड़ा और फिर 40 मीटर के बाद मशीन से कटाई शुरू की तो मशीन की हीट ने रही-सही ऑक्‍सीजन भी निगल ली….माहौल ऐसा हो गया कि हमारी सांसें फूलने लगीं…. वहां ज्‍यादा देर रुकना मुश्किल हो रहा था….हमारे साथ में एसडीआरएफ की टीम भी थी…हम सभी लोगों के सामने चुनौती बड़ी थी तो हौसले भी छोटे नहीं थे…. हमने हिम्‍मत नहीं हारी….एस्‍केप टनल में 3 घंटे तक काम किया…. मजदूरों की वापसी के लिए अभी 10 मीटर का रास्‍ता और साफ करना है…. यहां पर स्थिति ऐसी है कि हाईटेक मशीनें बेबस हैं….सिर्फ बुलंद हौसलों के दम ही मजदूरों को बचाया जा सकता है….. अभी 800 एमएम के डेढ़ पाइप और पहुंचाने हैं…. हम 3 घंटे बाद एस्‍केप टनल से बाहर आ गए…. शेष चट्टानें और गार्डर में आए सरिया और स्‍टील को काटने दुबारा भी जाएंगे…दरअसल दिवाली की सुबह से मजदूर फंसे हैं…अभी तक इनको निकाला नहीं जा सका है…करीब 45 मीटर तक का रास्ता तो क्लीयर है..लेकिन उससे आगे नहीं जा पा रहे हैं…ऐसे में हौसले ही काम आ रहे हैं…और मशीनें ठप पड़ जा रही हैं….