जी हां दोस्तो सदन में हरिद्वार का पानी रोकने का बयान देने वाले विधायक को टिहरी में ठेकेदारों ने घेरा, क्यों लग गया चेहेते को ठेका देना का आरोप। कैसे विधायक के खिलाफ ठेकेदारों ने काटा बवाल। टिहरी में सियासत और सिस्टम दोनों के खिलाफ ठेकेदारों का गुस्सा खुलकर फूट पड़ा। मामला है लोक निर्माण विभाग की निविदाओं में कथित मनमानी और पक्षपात का ठेकेदारों का आरोप है कि विधायक किशोर उपाध्याय अपने चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर बार-बार निरस्त करा रहे है। इस आरोप के बाद ठेकेदार संघ ने ज़िला मुख्यालय पहुंचकर विधायक का घेराव किया और जमकर नारेबाज़ी की, सवाल अब ये है कि क्या विकास कार्यों में भी चहेतों की राजनीति हो रही है? दोस्तो ये वो किशोर उपध्याय है जो सदन में पलायन के मामले में दिए गए मैदानी विधायक के बयान पर गुस्से में आ गए थे, तब कह दिया था का टिपरी डेम को तोड़ दो पानी को रोक दो। तो ये विधायक जी बीजेपी के खेमे से हैं कभी कांग्रेस के बड़े नेता में नाम सुमार था, लेकिन अब देखिए जिस टिहरी बांध को तोड़ने और पानी को रोक देने की बात तक रहे थे वही पहुंचे तो विरोध ऐसा की छिपने तक तक की जगह नहीं मिल रही है।
दोस्तो ये हंगामा चंबा-नई टिहरी क्षेत्र के लोक निर्माण विभाग (PWD) की निविदाओं में कथित अनियमितताओं और पक्षपात के आरोपों को लेकर ठेकेदार संघ ने ज़िला मुख्यालय पहुंचकर विधायक किशोर उपाध्याय का घेराव किया और जमकर नारेबाज़ी की। दोस्तो ठेकेदार संघ के सदस्यों ने आरोप लगाया कि टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय, विभाग के चंबा के अधिशासी अभियंता (EE) के साथ मिलकर निविदाओं में मनमानी कर रहे हैं। उनका कहना है कि विधायक अपने “करीबी ठेकेदारों” को लाभ पहुंचाने के लिए विभागीय स्तर पर टेंडर बार-बार निरस्त करवा रहे हैं। इतना ही नहीं कई ठेकेदारों ने कहा कि हर बार टेंडर खुलने के बाद उसे निरस्त कर दिया जाता है, ताकि पसंदीदा ठेकेदारों को दोबारा मौका मिले। इससे स्थानीय ठेकेदारों के साथ भेदभाव हो रहा है दोस्तो गुस्साए ठेकेदार बड़ी संख्या में जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और विरोध प्रदर्शन किया। विरोध के दौरान माहौल इतना गर्मा गया कि ठेकेदारों ने विधायक किशोर उपाध्याय के खिलाफ तीखे नारे लगाए। हैस्थिति ऐसी बन गई कि मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा। दोस्तो इस पूरे प्रकरण के चलते विधायक को मौके पर भारी फजीहत झेलनी पड़ी, तो उधर ठेकेदार संघ ने साफ कहा कि जब तक चंबा के अधिशासी अभियंता को पद से नहीं हटाया जाता, वे धरने पर बैठने को मजबूर होंगे। संघ का कहना है कि जिले में कार्य करने का अधिकार स्थानीय ठेकेदारों को मिलना चाहिए, ताकि विकास कार्यों में पारदर्शिता और स्थानीय रोज़गार दोनों सुनिश्चित हो सकें। हम किसी दल या व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि सिस्टम की पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। अगर टेंडर प्रक्रिया में निष्पक्षता नहीं रहेगी, तो विकास कार्य कभी भी गति नहीं पकड़ पाएंगे।
इस विरोध के बाद विधायक किशोर उपाध्याय पर दबाव बढ़ गया है। हालांकि विधायक की ओर से क्या कह गया वो भी देख लीजिए। अब दोस्तो किशोर उपाध्याज जो बी तर्क दें, लेकिन विऱोध ठेकेदारों ने गजब तरीके से किया है। वैसे बीजेपी के उन तामाम विधायकों की लिस्ट में भी उनका नाम जुड़ चुका है जिनाक विरोध खूब हो रहा है। दोस्तो वहीं, प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर टेंडर बार-बार निरस्त क्यों किए जा रहे हैं? क्या वास्तव में प्रक्रिया में कोई खामी है या फिर यह सब राजनीतिक दबाव का परिणाम है। स्थानीय जनता का कहना है कि इन विवादों की वजह से सड़क निर्माण और मरम्मत कार्य ठप पड़े हैं। ग्रामीण इलाकों में सड़कें खराब हालत में हैं, और बार-बार निविदा निरस्त होने से विकास कार्यों की गति रुक गई है दोस्तो ठेकेदार संघ ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं —तो वे टिहरी विधायक और अधिशासी अभियंता दोनों के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन शुरू करेंगे। संघ की मांग है कि निविदा प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया जाए, ताकि किसी भी स्तर पर मनमानी की गुंजाइश न रहे..दोस्तो विवाद केवल ठेकेदारों और विभाग के बीच नहीं है — बल्कि यह सवाल है कि विकास कार्यों में राजनीतिक हस्तक्षेप कहां तक जायज़ है?