Gaurikund landslide: हादसे के बाद जागा प्रशासन, हाईवे किनारे बनी 40 अस्थाई दुकानों को किया ध्वस्त

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केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में हुई बड़ी त्रासदी के बाद प्रशासन जाग गया है। गौरीकुंड में सड़क किनारे हुए अतिक्रमण को हटाने का कार्य शुरू हो गया है। कई दुकानों को ध्वस्त किया गया है तो कई दुकानों से सामान खाली करवाकर ध्वस्त करने की कार्रवाई गतिमान है। अब बड़ा प्रश्न यह है कि यदि पहले से ही इतने खतरनाक स्थानों पर बनाए गए ढाबों व होटलों को हटाया जाता तो आज 23 लोग हादसे का शिकार नहीं होते। सोनप्रयाग-गौरीकुंड राजमार्ग 2013 की आपदा के बाद से बेहद संकरा है। बमुश्किल यहां एक बार में एक वाहन की आवाजाही हो पाती है। वहीं सड़क किनारे बेहद खतरनाक स्थानों पर बनाए गए ढाबे अक्सर जाम की वजह बनते रहे हैं। बीते दिन जो दुकानें गौरीकुंड में आपदा की भेंट चढ़ी हैं, वह सभी डेंजर जोन पर बनाई गई हैं। यहां पर भूस्खलन होने की दिशा में बचने के कोई चांस ही नहीं थे और हुआ भी यही। इस हादसे के बाद प्रशासन जाग गया है और आसपास सड़क किनारे खतरनाक स्थानों पर बनाई गई 40 दुकानों को प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया है।

गौरीकुंड से सोनप्रयाग तक कुल 150 दुकानें चिन्हित की गई हैं। उखीमठ के उप जिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा ने यह जानकारी दी। रुद्रप्रयाग जिले के गौरीकुंड में भूस्खलन में लापता हुए 23 लोगों की खोजबीन के लिए रेस्क्यू सुबह 5.30 बजे से जारी है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित अन्य संस्थाओं के जवान खोजबीन में जुटे हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि सुबह से क्षेत्र में हल्की बारिश हो रही है। रुद्रप्रयाग में मौसम खराब होने के कारण मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का गौरीकुंड दौरा रद्द हो गया है। दुर्भाग्य से रुद्रप्रयाग देश के 10 सबसे अधिक भूस्खलन खतरे वाले जिलों में से पहले नंबर पर है। इसकी तस्दीक पिछले तीन-चार दशकों के दौरान जिले में भूस्खलन की वे बड़ी घटनाएं हैं, जिनमें हजारों लोग मारे गए या लापता हो गए।