उत्तराखण्ड: फर्जी डिग्री से पाई शिक्षक की नौकरी, खुलासे के बाद तीन को 5 साल की जेल

शिक्षा विभाग अभीतक 15 फर्जी शिक्षकों को जेल भेज चुका है। जबकि फर्जी डिग्री से नौकरी प्राप्त करने वाले कुल 23 शिक्षक चिह्नित किए गए हैं।

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फर्जी डिग्री के आधार पर तैनात तीन शिक्षकों को तत्काल निलंबित कर दिया गया है। Fake Teachers Jail Rudraprayag साथ ही फर्जी डिग्री के आधार पर धोखाधड़ी से नौकरी पाने के संबंध में दोषी करार पाते हुए 5-5 साल की कठोर कारावास की सजा और 10 हजार रुपए के अर्थदंड जुर्माने से भी दंडित किया गया है। शिक्षा विभाग अभीतक 15 फर्जी शिक्षकों को जेल भेज चुका है। जबकि फर्जी डिग्री से नौकरी प्राप्त करने वाले कुल 23 शिक्षक चिह्नित किए गए हैं। तीनों फर्जी शिक्षकों ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के नाम पर वर्ष 2005 से 2009 के बीच बीएड की फर्जी डिग्री प्राप्त की, उसके बाद महेंद्र सिंह, मोहन लाल और जगदीश लाल ने शिक्षा विभाग में प्राथमिक सहायक शिक्षक के रूप में नौकरी शुरू की थी।

शिक्षा विभाग ने एसआईटी से शिक्षकों की डिग्रियों की जाँच करवाई। जाँच में इस बात का खुलासा हुआ कि इन तीनों शिक्षकों की बीएड डिग्री फर्जी थी। रुद्रप्रयाग अदालत ने इस मामले में तीनों फर्जी शिक्षकों को सजा सुनाई, अदालत ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि तत्कालीन विभागीय अधिकारियों ने डिग्री का सत्यापन किए बिना इन दोषियों को नौकरी दे दी। जिस कारण सम्बंधित विभागीय अधिकारी भी इस मामले के लिए जिम्मेदार हैं। पुलिस ने जांच पूरी कर केस जिला न्यायालय में पेश किया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अशोक कुमार सैनी की अदालत ने बीएड की फर्जी डिग्री के मामले में तीनों शिक्षकों को दोषी पाते हुए पांच-पांच वर्ष की जेल और 10-10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। जनपद रुद्रप्रयाग में बीएड की फर्जी डिग्री के मामले में अब तक अदालत से 15 शिक्षकों को सजा सुनाई जा चुकी है।