जोशीमठ आपदा के बाद राज्य सरकार अपनी तरफ से करोड़ों रुपए जोशीमठ पीड़ितों के लिए जारी कर रही है। साथ ही जोशीमठ में राहत और बचाव कार्य भी युद्धस्तर पर चलाया जा रहा है। इतना ही नहीं जोशीमठ के लिए राज्य सरकार पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर रही है। इसके तहत जोशीमठ का पुनर्विकास अब केदारनाथ की तर्ज पर किया जाएगा। राज्य आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया जिस तरीके से केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्य किये गये हैं, उसी तरह से जोशीमठ में भी पुनर्निर्माण के काम किये जाएंगे।
आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया सीएम ने निर्देश दिए हैं कि पहाड़ में स्थित सभी शहरों में वैज्ञानिक जांच कराई जाए। जिस कड़ी में भविष्य में कदम उठाये जाएंगे। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा अभी सरकार का फोकस जोशीमठ पर है। सरकार जोशीमठ मामले को लेकर गंभीरता से काम रही है। जोशीमठ में दरारों के बढ़ने का सिलसिला जारी है। सचिव आपदा प्रबंधन रंजीत सिन्हा के मुताबिक अभी तक 849 घरों में दरारें पड़ चुकी हैं। जिसमें से 165 भवनों को पूरी तरह से रहने के लिए असुरक्षित बताया गया है। वहीं, जेपी कॉलोनी के दरार वाले घरों को तोड़ने का फैसला लिया गया है।
आपदा सचिव रंजीत सिन्हा के मुताबिक जोशीमठ रोपवे पर अभी तक खतरे की बात नहीं आई है। लेकिन हालातों के मद्देनजर रोपवे को लेकर इंजीनियर की नियुक्ति की गई है। जो रोपवे की हर गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। जेपी कंपनी के कई भवनों में भी दरारें देखने को मिल रही है, जिसको लेकर जिलाधिकारी द्वारा कंपनी प्रबंधन से वार्ता की जाएगी। वहीं, जोशीमठ के इलाकों में दरारें बढ़ने का सिलसिला लगातार जारी है। जिसको लेकर भवनों की मॉनिटरिंग के लिए क्राको मीटर भी लगाए गए हैं, जो दरारों के पैटर्न का अध्ययन करेंगे। इसके साथ ही स्थानीय निवासियों के विस्थापन की प्रक्रिया भी प्रशासन द्वारा शुरू की जा चुकी है। कोटि कॉलोनी, उद्यान विभाग, ढाक की भूमि सुरक्षित पाई गई है। इन्हीं स्थानों पर फेब्रिकेटेड शेल्टर का निर्माण किया जाएगा।