विश्वविख्यात बदरीनाथ धाम के कपाट आज मंगलवार को शीतकाल के लिए बंद हो गए है, और इसी के साथ इस वर्ष की चारधाम यात्रा का औपचारिक समापन हो गया है। दोपहर ठीक दो बजकर 56 मिनट पर बंद हो गए हैं। बदरीनाथ धाम में रावल द्वारा लक्ष्मी मां को गर्भ गृह में स्थापित कर घृत कंबल ओढ़ाया। अब तक करीब 16 लाख 55 हजार श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचे हैं। वहीं, 26 नवंबर को उद्धव जी, कुबेर जी व शंकराचार्य जी की गद्दी डोली पांडुकेश्वर पहुंचेगी। परंपरा के तहत बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के बाद 6 महीने तक माता लक्ष्मी परिक्रमा स्थल स्थित उनके मंदिर में विराजमान रहती हैं।
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भगवान बदरी विशाल की मूल स्वयंभू मूर्ति को ज्योतिर्मठ (नृसिंह मंदिर) में विराजमान किया जाएगा। भगवान उद्धव और कुबेर जी मूर्ति पांडुकेश्वर (योगध्यान बदरी मंदिर) में विराजते हैं।परंपराओं के अनुसार भगवान बद्रीविशाल के कपाट छह माह के लिए आम जनमानस के लिए दर्शनों के लिए खोले जाते हैं और शीतकाल के दौरान छह माह तक भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद रहते हैं। पुलिस और प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था की गई है। मंदिर समिति के धर्माधिकारी मुख्य पुजारी रावल हक़ हकूक धारी सभी कपाट बंद करने की प्रक्रिया में जुटे हुए हैं। इस वर्ष भगवान बदरी विशाल में 16,60,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।