उत्तराखंड सत्ता-संग्राम 2022: जन आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी, सत्ता में हाशिए पर ही रही नारी

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उत्तराखंड के जन आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी के बावजूद महिलाएं मुख्यधारा की राजनीति में हाशिए पर रही हैं। राज्य आंदोलन, शराब बंदी, पर्यावरण बचाने के लिए चिपको आंदोलन में महिलाओं ने पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर उत्तराखंड के विकास को नई दिशा दी। लेकिन राजनीति के क्षेत्र में महिलाओं को उस अनुपात में तरजीह नहीं मिल पाई। आज भी संगठनों, सरकार में जिम्मेदारी पाने और चुनाव में टिकट के लिए महिलाओं को संघर्ष करना पड़ता है।

उत्तराखंड में राज्य गठन के 21 साल बाद भी महिलाओं को सत्ता की कमान नहीं मिली है। उत्तराखंड की राजनीतिक पार्टियां महिलाओं के सशक्तिकरण और आत्मनिर्भर बनने के दावे तो करते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि  राजनीति में प्रतिनिधित्व करने के लिए महिलाओं को पूरा हक नहीं मिल पाता है। उत्तराखंड के सियासी इतिहास में पिछले चार चुनाव में 70 सीटों पर महिला विधायकों का आंकड़ा दहाई तक नहीं पहुंच पाया है।

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राज्य गठन के बाद वर्ष 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में कुल 927 प्रत्याशियों में से 72 महिलाओं ने चुनाव लड़ा। जिसमें सिर्फ चार महिलाएं ही जीत हासिल कर विधानसभा पहुंचे। इसमें कांग्रेस से इंदिरा हृदयेश व अमृता रावत और भाजपा से विजय बड़थ्वाल व आशा देवी विधायक बने। इसी तरह 2007 के चुनाव में  70 सीटों पर कुल 729 प्रत्याशियों में से 56 महिलाएं चुनाव में उतरी। इसमें भाजपा से वीना महराना, आशा देवी, विजय बड़थ्वाल,  कांग्रेस से अमृत रावत ने जीत हासिल की।

इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी इंदिरा हृदयेश चुनाव हार गई थी। 2012 के चुनाव में कुल 788 प्रत्याशियों में 63 महिलाओं ने चुनाव लड़ा। लेकिन जीत पांच को मिली। इसमें कांग्रेस से इंदिरा हृदयेश, शैला रानी रावत, सरिता आर्य, अमृता रावत और भाजपा से विजय बड़थ्वाल ने चुनाव जीता था। जबकि 2017 के चुनाव में कुल 723 प्रत्याशियों में 80 महिलाओं ने चुनाव लड़ा है। जिसमें पांच महिलाएं चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंची। जिसमें कांग्रेस से इंदिरा हृदयेश, ममता राकेश, भाजपा से रेखा आर्य, रितू खंडूड़ी और मीना गंगोला विधायक हैं। इसमें हल्द्वानी सीट से विधायक एवं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश का निधन हो गया है।
वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव के लिए वोटरों की स्थिति
कुल वोटर:       73,81000
पुरुष वोटर :    3865572
महिला वोटर : 3515279

वर्ष 2012 में वोटरों की स्थिति
कुल मतदाता-    6377330
पुरुष वोटर:       3352984
महिला वोटर:     3024346

वर्ष 2007 में वोटरों की स्थिति
कुल मतदाता-    5985302
पुरुष:               3038991
महिला:             2946311
2012 में कांग्रेस ने आठ और भाजपा ने सात महिलाओं को दिया टिकट
वर्ष 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुल आठ महिला प्रत्याशियों को टिकट दिए। इनमें से हल्द्वानी से इंदिरा हृदयेश, केदारनाथ से शैला रानी रावत, रामनगर से अमृता रावत और नैनीताल से सरिता आर्य चुनाव जीतने में कामयाब रही। ज्वालापुर सीट से ब्रजरानी, यमकेश्वर से सरोजनी कैंत्युरा, डीडीहाट से रेवती जोशी और लैंसडाउन से ज्योति गैरोला को हार का मुंह देखना पड़ा। बाद में 2014 में हुए उपचुनाव में सोमेश्वर विधानसभा सीट से रेखा आर्य और भगवानपुर सीट से ममता राकेश भी विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुई। जबकि भाजपा ने सात महिलाओं को टिकट दिया।इसमें केदारनाथ से आशा नौटियाल, चकराता से कमला चौहान, झबरेड़ा से वैजयंती माला, हल्द्वानी से रेणु अधिकारी, गंगोलीहाट से गीता ठाकुर, यमकेश्वर से विजय बड़थ्वाल, चंपावत से हरिप्रिया जोशी शामिल है। लेकिन यमकेश्वर से सिर्फ विजय बड़थ्वाल को जीत मिली थी।

किस चुनाव में कौन महिला विधायक
2002
विधायक           विस क्षेत्र  दल
विजय बड़थ्वाल  यमकेश्वर  भाजपा
अमृता रावत     बीरोखाल  कांग्रेस
आशा नौटियाल   केदारनाथ  भाजपा
इंदिरा हृदयेश    हल्द्वानी    कांग्रेस

2007
बीना महाराना   चंपावत   भाजपा
विजया बड़थ्वाल   यमकेश्वर  भाजपा
आशा नौटियाल    केदारनाथ  भाजपा
अमृता रावत     बीरोखाल    कांग्रेस

2012
सरिता आर्य     नैनीताल    कांग्रेस
इंदिरा हृदयेश   हल्द्वानी   कांग्रेस
अमृता रावत   रामनगर    कांग्रेस
शैलारानी     केदारनाथ    कांग्रेस

2017
इंदिरा हृदयेश हल्द्वानी  कांग्रेस
मीना गंगोला    भाजपा
रेखा आर्य      भाजपा
ऋतु खंडूड़ी     भाजपा
ममता राकेश   कांग्रेस
मुन्नी देवी   थराली(उपचुनाव) भाजपा
चंद्रा पंत    पिथौरागढ़(उपचुनाव) भाजपा