मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर प्रदेशभर में अवैध मदरसों की जांच की जा रही है। पुलिस-प्रशासन की जांच में कई मदरसे अवैध पाए गए, जिन पर प्रशासन ने ताला भी लगा दिया। Action On Madrasas In Uttarakhand सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी तक प्रशासन ने 170 मदरसे सील किए हैं। वहीं अब सील किए मदरसों की फंडिंग को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। आखिर इन मदरसों की फंडिंग कहां से आ रही थी, जिसकी जांच की जा रही है। इन मदरसों की जांच के लिए राज्य सरकार की ओर से विशेष सर्वे टीमें गठित की गई थीं जिनकी रिपोर्ट के आधार पर जिला प्रशासन ने यह सख्त कार्रवाई की। इन कार्रवाइयों का सबसे अधिक प्रभाव उत्तराखंड के संवेदनशील क्षेत्रों में देखा गया है। देहरादून, हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर और विशेष रूप से वनभूलपूरा (हल्द्वानी) जैसे क्षेत्रों में कई अवैध मदरसे या तो बंद कर दिए गए हैं या जांच के दायरे में हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने साफ किया कि उत्तराखंड को किसी भी प्रकार की अवैध, असंवैधानिक और समाज को तोड़ने वाली गतिविधियों का केंद्र नहीं बनने दिया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि उत्तराखंड में हर प्रकार की शैक्षिक संस्था वैध रूप से पंजीकृत हो, उनके संचालन में पारदर्शिता हो और वे किसी भी प्रकार की उग्रवादी या कट्टरता फैलाने वाली गतिविधियों का केंद्र न बनें। मदरसा शिक्षा बोर्ड के अंतर्गत राज्य में 452 मदरसे पंजीकृत हैं, जो अपने हिसाब- किताब का पूरा ब्योरा सरकार को देते हैं। इस बीच सरकार की ओर से सर्वे कराया गया तो बात सामने आई कि राज्यभर में 500 से ज्यादा मदरसे अवैध रूप से चल रहे हैं। न तो इनका मदरसा बोर्ड में पंजीकरण है और न ये अन्य मानकों को पूरा करते हैं।