बिल एटकिन, जो मसूरी के निवासी और एक प्रतिष्ठित लेखक थे। उन्होंने 91 वर्ष की उम्र में देहरादून में अपनी अंतिम सांस ली। बृहस्पतिवार को हरिद्वार में हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया गया। Bill Aitken died in Dehradun बिल एटकिन के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है। उनका जीवन यात्राओं, भारत के प्रति प्रेम और लेखन से भरा हुआ था। वे न सिर्फ एक लेखक थे। बल्कि भारत की संस्कृति, हिमालय और रेलवे जैसे विषयों पर उनकी गहरी पकड़ और संवेदनशील दृष्टिकोण ने उन्हें खास बना दिया। उनके लेखों और किताबों ने कई लोगों को भारत को नए नजरिए से देखने की प्रेरणा दी। वह 1959 में भारत आ गए और 1966 के आसपास उन्होंने यहां की नागरिकता ले ली। वह शहर के बालाहिसार में रहते थे।
बिल एटकिन ने मसूरी को अपना स्थायी निवास बनाया और यहां की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभाई। उनकी लेखनी ने उत्तराखंड की पहाड़ी संस्कृति और जीवनशैली को व्यापक रूप से प्रस्तुत किया। बिल एटकिन का जीवन एक आध्यात्मिक यात्रा था। एटकिन ने भारत यात्रा साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी प्रमुख कृतियां निम्नलिखित हैं- भारत की सात प्रमुख नदियों की यात्रा पर आधारित, दक्षिण भारत की मोटरसाइकिल यात्रा, हिमालय की यात्रा और वहां के संतों के अनुभव, नंदा देवी पर्वत और उसकी सांस्कृतिक मंहत्ता पर आधारित, भारत के छोटे रेलवे मार्गों की यात्रा, भारतीय रेलवे की खोज है।