प्रकृति प्रेमियों के लिए अच्छी खबर, उत्तराखंड में नजर आई विलुप्त हो चुकी उड़न गिलहरी

रानीखेत में पहली बार उड़न गिलहरी देखी गई है। यह पहला मौका है जब यहां प्रकृति प्रेमियों को उड़न गिलहरी के दीदार हुए।

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उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में घने जंगलों में पहली बार एक दुर्लभ प्रजाति की गिलहरी देखी गई है, जो लगभग विलुप्त हो चुकी है। Rare species of squirrel seen in Uttarakhand यह पहला मौका है जब यहां प्रकृति प्रेमियों को उड़न गिलहरी के दीदार हुए। सिर्फ रात में नजर आने वाला यह नन्हा प्राणी विलुप्ति के कगार पर है। कश्मीर के अलावा यह शिमला में भी नजर आ चुकी है। 1997 में भी इसे रानीखेत में देखने का दावा किया गया था, लेकिन फोटो प्रमाण नहीं होने के कारण विभाग रिकॉर्ड में शामिल नहीं कर सका। उत्तराखंड में उडऩ गिलहरी की दो प्रजातियां अब तक ट्रेस हुई थी। इसमें रेड ज्वाइंट स्क्वैरल को इसी साल मुनस्यारी में व बुली स्क्वैरल को उत्तरकाशी में देखा जा चुका है।

2019 में उत्तराखंड वन अनुसंधान ने अनुसंधान सलाहकार समिति से इन गिलहरियों पर रिसर्च को लेकर अनुमति हासिल की थी। उसके बाद से संभावित ठिकानों पर इन्हें तलाशा गया। इस दुर्लभ जीव की तस्वीर प्रसिद्ध नेचर फोटोग्राफर कमल गोस्वामी ने रानीखेत में अपने कमरे से ली। विलुप्त के कगार पर खड़े इस जीव का दिखना शुभ भी माना जा रहा है। उड़न गिलहरी जो फल खाती है, उनके बीज फैला कर नए पौधों की उत्पत्ति में मदद करती है। यह छोटे कीटों को खाती है और खुद उल्लू, सांप, या जंगली बिल्लियों का शिकार भी बन जाती है। इस प्रकार यह पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में योगदान देती है।