जानिए क्या हैं महेंद्र भट्ट के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के मायने? ऐसे बनाया BJP ने समीकरण में संतुलन

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Uttarakhand Political News: निकाय और 2024 लोकसभा चुनावों से पहले उत्तराखंड बीजेपी में बड़ा फेरबदल देखने को मिला है। बीजेपी आलाकमान ने उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक की जगह पूर्व विधायक महेंद्र भट्ट को बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया। विधानसभा चुनाव के बाद से ही उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे में बदलाव के कयास तेज थे। इस बदलाव को लेकर बड़ी बात यह निकलकर आ रही है कि भट्ट की नियुक्ति को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी की सहमति बड़ा फैक्टर रही साथ ही पार्टी ने भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर क्षेत्रीय व जातीय समीकरण में संतुलन बनाने की कोशिश की है। साथ ही चमोली जिले को प्रदेश अध्यक्ष का तोहफा देकर प्रदेश मंत्रिमंडल में जिले को प्रतिनिधित्व न मिलने की कसक को भी पूरा किया।

दरअसल पुष्कर धामी के मुख्यमंत्री बनने और मदन कौशिक के प्रदेश अध्यक्ष होते हुए बीजेपी के भीतर ही गढ़वाल की अनदेखी की बात उठ रही थी, जिसके बाद गढ़वाल के पहाड़ी इलाके के किसी नेता को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने की चर्चा तेज थी। बीजेपी की रणनीति गढ़वाल और कुमाऊं के साथ ही जातीय समीकरण साधने की भी रही क्योंकि धामी कुमाऊं से आते हैं और राजपूत हैं। मदन कौशिक गढ़वाल मंडल के मैदानी इलाके से जुड़े ब्राह्मण थे। कौशिक का पूरे गढ़वाल में उतना प्रभाव नहीं था इसलिए बीजेपी ने गढ़वाल के ब्राह्मण महेंद्र भट्ट को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव खेला। महेंद्र भट्ट की उम्र भले ही 51 साल की हो लेकिन उनका राजनीतिक अनुभव कम नहीं है। उनकी छवि एक तेजतर्रार हिंदूवादी नेता की है. एबीवीपी से लेकर बीजेपी युवा मोर्चा और बीजेपी के मुख्य संगठन में काम करने का उनका लंबा अनुभव है।

राजनीतिक जानकारों के हिसाब से सांगठनिक ताना बाना बनाने में माहिर भाजपा ने पहली बार मैदानी जिले हरिद्वार से प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। 2017 के चुनाव में हरिद्वार जिले में शानदार प्रदर्शन के बाद पार्टी ने यह नया प्रयोग किया था। लेकिन सियासी समीकरण उलट पुलट हो गए। सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, ज्योति प्रसाद गैरोला, विधायक विनोद चमोली सरीखे नेताओं के बीच महेंद्र भट्ट का नाम भी चर्चाओं में रहा। 2022 के विधानसभा चुनाव में हरिद्वार जिले में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बाद प्रदेश अध्यक्ष को बदले जाने का दबाव बना। प्रदेश अध्यक्ष कौशिक बेशक अपनी सीट से चुनाव जीते, लेकिन उनके नेतृत्व में उन्हीं के गृह जिले में पार्टी अपना पुराना शानदार प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई।