रक्षाबंधन पर तिरंगे में लिपटा घर पहुंचा शहीद जवान बसुदेव सिंह का पार्थिव शरीर, बिलख उठा परिवार

शहीद हवलदार बसुदेव सिंह परोडा पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। शहीद का अंतिम संस्कार उनके पैतृक घाट मोटूगाड में किया गया।

Share

उत्तराखंड के गैरसैंण में सारकोट गांव निवासी और सेना के बंगाल इंजीनियर में हवलदार बसुदेव सिंह लेह में बलिदान हो गए। Martyr Jawan Basudev Singh Paroda रक्षाबंधन पर शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा। जिसके बाद परिवार में कोहराम मच गया। हवलदार वसुदेव करीब 13 साल पूर्व सेना में भर्ती हुए थे। वह वर्तमान में लेह में सेवारत थे। गैरसैंण में सारकोट गांव निवासी और सेना के बंगाल इंजीनियर में हवलदार बसुदेव सिंह का पार्थिव शरीर आज सुबह गांव पहुंचा। पार्थिव शरीर पहुंचते ही लोगों ने बसुदेव जिंदाबाद, भारत माता की जय के नारे लगाए। ग्रामीणों ने बताया बसुदेव करीब 13 साल पूर्व सेना में भर्ती हुए थे। वह वर्तमान में लेह में सेवारत थे।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 16 अगस्त को बसुदेव के पिता पूर्व सैनिक हवलदार फते सिंह को शाम 6 बजे यूनिट से हवलदार बसुदेव की निर्माण कार्य के दौरान दुर्घटना से मौत होने की खबर मिली थी। गैरसैंण बाजार पहुंचने पर स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने सेना के वाहनों पर फूल चढ़ाए। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को उनके गांव ले जाया गया। बसुदेव का पार्थिव शरीर देख उनकी पत्नी, बेटा-बेटी, माता-पिता और बहन बिलख उठे। जिसके बाद परिवार में कोहराम मच गया। उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। रुद्रप्रयाग से उनके पार्थिव शरीर को लेकर आए 55 बंगाल इंजीनियरिंग के ओर्डीनरी कैप्टेन अवतार सिंह और 6 ग्रिनेडियर के तीन अधिकारी व 15 सैनिकों की टुकड़ी ने बलिदानी को सशस्त्र सलामी दी। शहीद का अंतिम संस्कार उनके पैतृक घाट मोटूगाड में किया गया। शहीद को मुखाग्नि उनके बड़े भाई जगदीश सिंह ने दी।