उत्तराखंड चुनाव को लेकर बयानबाज़ी तो चरम पर है ही, वादों और सवाल जवाब का दौर भी उठान पर है. एक तरफ भाजपा के स्टार प्रचारक उत्तराखंड में घोषणाएं और बयानबाज़ी कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) लगातार अपील करने पर फोकस कर रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के उत्तराखंड चुनाव अभियान के प्रमुख (Congress Campaign Chief) और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से विपक्ष और मीडिया लगातार सवाल पूछ रहा है. कांग्रेस को उत्तराखंड क्यों वोट दे? इस थीम पर हरीश रावत बार बार अपना और अपनी पार्टी का बचाव व रुख साफ कर रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे ही पांच बड़े सवालों का जवाब रावत ने दिया है.
1. क्या यह सच है कि कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती यही है कि आम आदमी पार्टी उसके वोटों में सेंध लगा देगी? इस सवाल के जवाब में रावत का कहना है, उत्तराखंड के लोगों का शुक्रगुज़ार हूं कि वो समझ रहे हैं कि आप ने भाजपा से ‘सुपारी’ ले रखी है. उत्तराखंड को समझने में आप को वक्त लगेगा. यहां का भूगोल और मानव मन समझना होगा. यह ऐसी बात नहीं है कि आपने कनॉट प्लेस में जाकर कोई इवेंट किया और चलते बने. मैंने उत्तराखंड में 55 साल राजनीति की है और मैं अब भी नहीं कह सकता कि मैं राज्य की सभी स्थितियों को पूरी तरह समझता हूं.
2. भाजपा के पास पीएम मोदी और स्टार प्रचारकों के तौर पर कई केंद्रीय नेता हैं, कांग्रेस क्या चुनाव प्रचार में पिछड़ रही है?
उत्तराखंड के लोग अपने राज्य की सरकार चुन रहे हैं. यहां 90 फीसदी से ज़्यादा साक्षरता है और लोग समझते हैं कि केंद्र सरकार का चुनाव नहीं हो रहा है. उन्हें पता है कि उन्हें स्थानीय कांग्रेस नेताओं और स्थानीय भाजपाइयों के बीच चुनाव करना है.
3. कांग्रेस में सीएम चेहरे और यशपाल आर्य के मुख्यमंत्री बनने के क्या गणित हैं?
मैंने कहा कि कांग्रेस को रणनीति के तौर पर राज्यों के चेहरों को आगे लाना चाहिए और राज्यों में नेतृत्व के चेहरे स्पष्ट करने चाहिए. मैंने यह भी कहा कि उत्तराखंड में कोई दलित मुख्यमंत्री बने, यह मेरी इच्छा है. निर्णय सभी पार्टी आलाकमान के हैं, लेकिन मेरे पास ऐसा कोई मौका आया, तो मैं पीछे नहीं हटूंगा.
4. आपको लगता है कि उत्तराखंड में बीजेपी के सामने कांग्रेस का पलड़ा भारी है?
‘डबल इंजन’ की सरकार अपने वादे नहीं निभा सकी. यहां सिवाय तीन मुख्यमंत्री देने के कोई विकास नहीं हुआ. कोई रोज़गार नहीं है. 57,000 से ज़्यादा पद खाली पड़े हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य सेक्टर पिछड़े हुए हैं. कुंभ के दौरान यहां बड़ा कोविड टेस्ट फर्ज़ीवाड़ा हुआ. खनन में घोटाले हो रहे हैं. देवभूमि की छवि खराब हुई है.
5. लेकिन, इस चुनाव में कांग्रेस के भीतर गुटबाज़ी उभरकर आई है, इस पर क्या रुख है?
सभी कांग्रेस नेता एकजुट हैं और चुनाव अभियान में साथ हैं. साफ संदेश है कि यह चुनाव कांग्रेस के लिए ‘करो या मरो’ वाली स्थिति है. वोटरों को यह भी एहसास है कि बीजेपी ने 2016 में कैसे दलबदल की कारगुज़ारी से राज्य की राजनीति को शर्मसार और अस्थिर किया था.