उत्तराखंड में राजस्व पुलिस की व्यवस्था होगी खत्म, कैबिनेट बैठक में लगी मुहर

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देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में राजस्व पुलिस की पुरानी प्रथा को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का निर्णय लिया है। बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने इस निर्णय का समर्थन किया। कैबिनेट के निर्णय की जानकारी देते हुए अपर मुख्य सचिव (एसीएस) राधा रतूड़ी ने कहा कि पहले चरण में मौजूदा थानों और पुलिस चौकियों से सटे गांवों को पुलिस के अधिकार क्षेत्र में जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियां चल रही हैं, वहां छह नए पुलिस थाने और 20 पुलिस चौकियां स्थापित की जाएंगी। एसीएस ने स्वीकार किया कि कैबिनेट ने राजस्व पुलिस के तहत मौजूदा क्षेत्रों को हटाने और उन्हें चरणबद्ध तरीके से नियमित पुलिस के अधिकार क्षेत्र में लाने का एक सैद्धांतिक निर्णय लिया है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राजस्व पुलिस प्रणाली पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय (एचसी) के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (एससी) में एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया। रतूड़ी ने कहा कि राज्य सरकार बुधवार को कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के मद्देनजर इस मुद्दे पर अपना जवाब उच्च न्यायालय में प्रस्तुत करेगी।

राजस्व पुलिस की व्यवस्था को धीरे-धीरे समाप्त करने का उत्तराखंड सरकार का निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य का 60 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र राजस्व पुलिस के अंतर्गत आता है। राज्य के कुल 7,500 गांव वर्ष 1861 में शुरू की गई राजस्व पुलिस प्रणाली के अंतर्गत हैं। उल्लेखनीय है कि 2018 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को राजस्व पुलिस की व्यवस्था को समाप्त करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के खिलाफ उत्तराखंड सरकार ने SC में SLP दाखिल की थी। हाल ही में अंकिता भंडारी हत्याकांड ने फिर से राजस्व पुलिस को खत्म करने की मांग को तेज कर दिया था क्योंकि इस मामले में राजस्व उप निरीक्षक की भूमिका सवालों के घेरे में आ गई थी।