सिलक्यारा ऑपरेशन की सफलता से हर किसी के चेहरे खिल गए हैं। Uttarkashi Tunnel Collapse उत्तराकाशी की सुरंग में फंसे मजदूरों के बार निकालने के लिए जारी रेस्क्यू अभियान को 17 वें दिन सफलता मिली। सिलक्यारा किसी सुरंग या खदान में फंसे मजदूरों को निकालने वाला देश का सबसे लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन बना गया है। इससे पहले वर्ष 1989 में पश्चिमी बंगाल की रानीगंज कोयला खदान से दो दिन चले अभियान के बाद 65 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था। सिलक्यारा जैसे हादसों की देश में पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए इससे सबक लेना समय की मांग है। इसी कड़ी में सिलक्यारा के घटनाक्रम को एनआइडीएम (नेशनल इंस्टीट्यूट आफ डिजास्टर मैनेजमेंट) केस स्टडी के रूप में लेगा।
एनआइडीएम के कार्यकारी निदेशक रत्नू ने कहा कि सिलक्यारा के घटनाक्रम से हम क्या सीखते हैं, भविष्य में क्या कर पाएंगे, यह उनके संस्थान का मेंडेट रहेगा। उन्होंने कहा कि हमारा काम कौशल विकास का है। प्रयास यही रहेगा कि जितनी भी इंजीनियरिंग फर्म और कांट्रेक्टर्स हैं, वे इस घटनाक्रम को केस स्टडी के रूप में लें। उन्होंने कहा कि जहां भी सुरंग बनेंगी, प्रयास करेंगे कि वहां के राज्यों के लोनिवि के अलावा एमओआरटी के साथ इस बारे में विमर्श किया जाए। रतनू ने कहा कि हिमालयन रीजन में सड़कों और सुरंगों के निर्माण में यह स्टडी महत्वपूर्ण साबित होगी। उन्होंने कहा कि सभी हिमालयी राज्यों का पूरा भूगोल अन्य राज्यों से अलग है। इसलिए हिमालयी राज्यों की ओर से ही यह सुझाव आया था कि उत्तराखंड में एक इस तरह का राष्ट्रीय संस्थान खुले, जिसमें आपदा प्रबंधन से संबंधित शोध, प्रशिक्षण और इससे जुड़े दूसरे महत्वपूर्ण कार्य हो सकें।