उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। सभी मजदूर घर के लिए रवाना हो गए है। इन 41 में से 40 मजदूरों के परिवारों में खुशी का माहौल है। एक परिवार में बेटे के सुरंग से निकलने के बाद भी मातम पसर गया है। Bhaktu Murmu trapped in Uttarkashi Tunnel his father dies in Jharkhand झारखंड के बांकिशोला पंचायत के बहादा गांव में रहने वाले भक्तू मुर्मू के पिता अपने बेटे का इंतजार करते करते 17 वें दिन इस दुनिया को अलविदा कह गए। भगवान का लिखा देखिए कि इधर बेटा बाहर आया और उधर पिता बिना बेटे से मिले चल बसे। बेटे के सुरंग से बाहर निकलने से कुछ घंटे पहले ही झारखंड के रहने वाले बारसा मुर्मू (70) ने दम तोड़ दिया। बेटे भक्तु मुर्मू के टनल में फंसने की सूचना के बाद से ही वृद्ध पिता परेशान था। इसी बीच सदमे में उनकी मौत हो गई।
मिली जानकारी के अनुसार, जब से वृद्ध पिता बारसा मुर्मू को अपने मंझिले बेटे भक्तु मुर्मू के उत्तराखंड के टनल में फंसने की जानकारी मिली थी तब से वह परेशान रह रहे थे। मुर्मू के दामाद ठाकर हांसदा उस समय वहां मौजूद थे, जब सत्तर वर्षीय मुर्मू ने अंतिम सांस ली। उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे को लेकर चिंतित थे और अचानक खाट से गिर गए और उनकी मौत हो गई। टनल में फंसे रहने के दौरान कई बार भक्तु ने अपने पिता से बातचीत की और सब कुछ सही और सुरक्षित होने की बात वह कहते रहे। लेकिन 26 नवंबर से उनके बेटे से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा था। गांव के आसपास के लोग और रिश्तेदार लगातार फोन पर बातचीत तो करवाते थे लेकिन बारी-बारी से सभी मजदूरों के परिजन बात करते थे। ऐसे में तीन दिन से बेटे से एक पिता की बातचीत नहीं हो पाई थी। किसी अनहोनी के डर से बसाते अंदर तक हिल गए। इसी सदमे में उनकी जान चली गई। संयोग देखिए कि ठीक 17वें दिन ही उत्तरकाशी की टनल से सभी 41 मजदूरों का सफल रेस्क्यू कर लिया गया था।