भगवान बदरीनाथ के कपाट खुलने की प्रक्रिया का शुरुआती चरण प्रारंभ हो गया है। विधि-विधान के साथ पारंपरिक रीति रिवाज के अनुसार वेद मंत्रोचार के बीच जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर से नरेंद्रनगर टिहरी राजमहल के लिए तिल के तेल कलश का प्रस्थान हो चुका है। इसे बदरीनाथ के कपाट खुलने की पहली प्रक्रिया माना जाता है। बदरीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के अधिकृत प्रतिनिधियों के रूप में शामिल टीका प्रसाद डिमरी, राजेंद्र प्रसाद डिमरी, हेमचंद्र डिमरी, मनोज डिमरी तेल कलश को निर्धारित प्रक्रिया के तहत पांडुकेश्वर, बदरीनाथ धाम के पुजारी समुदाय डिमरियों के मूल ग्राम डिम्मर होते हुए नरेंद्रनगर ला रहे हैं।
वही, जोशीमठ में संकट के बीच अब बदरीनाथ हाईवे पर भी दरारें आ गई हैं। इन दरारों ने स्थानीय लोगों की चिंता को और बढ़ा दिया है। उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा का कहना है कि हेलंग मारवाड़ी बाईपास के निर्माण में वक्त लग सकता है। ऐसे में जोशीमठ नगर की सड़क से ही बदरीनाथ की यात्रा संचालित की जा सकती है। चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा कि बद्रीनाथ हाईवे पर दरारों की सूचना मिली है। इसे लेकर मौके पर एक्सपर्ट की टीम मौके पर भेजी गई थी। टीम ने जांच कर दरारों की सूचना दी है।
बता दें कि जोशीमठ आपदा की वजह से बदरीनाथ धाम की यात्रा इस वक्त सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। ऐसे में बदरीनाथ के लिए हेलंग बाईपास का काम शुरू करने के लिए आईआईटी रुड़की पहले परीक्षण कर रही है। जिसके बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। वहीं, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि हेलंग बाईपास को बनने में कम से कम 2 साल का समय लगेगा। जिससे साफ है कि इस बार का यात्रा सीजन जोशीमठ से होकर ही गुजरेगा और यह यात्रा पूरी तरह से दरारों वाली सड़कों से होकर गुजरेगी।