झुक गई सरकार फिर ये प्रदर्शन कैसा ? | UKSSSC | Uttarakhand News | Dehradun News

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UKSSSC पेपर लीक मामले में सरकार के झुकने के बाद भी देहरादून की सड़कों पर क्यों नहीं प्रदर्शन थमा नहीं है। चार दिन से गूंज रही आवाजें आज भी उतनी ही बुलंद हैं – सवाल ये है कि जब सरकार ने भरोसा दिया, तो फिर ये विरोध क्यों?क्या वादों में अब भरोसा नहीं? या फिर युवाओं के ज़ख्म सिर्फ आश्वासन से नहीं भरने वाले? DM Meets Protesters In Dehradun आज की तस्वीरें बता रही हैं — लड़ाई अब सिर्फ न्याय की नहीं, भरोसे की भी है। दोस्तो उत्तराखंड में पेपर लीक कांड पर खूब हो होल्ला हो रहा है, अब एसे में सवाल कुछ ये पूछ रहे हैं कि जब सरकार ने युवांओं के प्रदर्शन और गुस्से को देखते हुए कई फैसले ले लिए तो फिर ये प्रदेशर्न जो देहरादून से लेकर प्रदेश अलग-अलग जिलों में देखने को मिल रहा है यो क्यों, इसके पीछे की वजह किया है। दोस्तो सितंबर 2025 – उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के पेपर लीक मामले ने राज्यभर के बेरोजगार युवाओं को एक बार फिर सड़कों पर ला खड़ा किया है। राजधानी देहरादून का परेड ग्राउंड इस समय आंदोलन का केंद्र बना हुआ है, जहां बीते चार दिनों से लगातार बेरोजगार युवा सीबीआई जांच और अन्य मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए है। दगड़ियो इन युवाओं का कहना है कि सरकार की ओर से केवल “खोखले आश्वासन” दिए जा रहे हैं, लेकिन वास्तविक कार्रवाई का अभी भी इंतजार है। युवा न सिर्फ दिन में नारेबाज़ी कर रहे हैं, बल्कि रात को मोबाइल की रोशनी जलाकर धरना स्थल पर डटे हुए हैं, जिससे उनकी एकजुटता और जुझारूपन साफ नज़र आता है।

बेरोज़गार संघ ने युवाओं के साथ मिलकर देहरादून के विकासनगर में रैली निकाली, जिसमें हाथों में “Re-Exam” और “CBI जांच” के पोस्टर लेकर अभ्यर्थी अपने हक की मांग कर रहे थे। इसके अलावा पहाड़ी जिलों में भी अब पेपर लीक में खूब शोर सुनाई देने लगा है। ये तब है जब प्रदेश की धामी सरकार ने इस पेपर लीक कांड पर कई कार्रवाई यों को अंजाम दिया है। जिसमें मामले में एसआईटी का गठन करना और रि.पूर्व जज की निगरानी में जांच कराने का साथ ही इस पूरे खेल का मास्टरमाइन के अतिक्रमण कर बनाई गई संप्ति पर पीला पंजा चलाना तक शामिल है। ऐसे में अब इस पेपर लीक की हुंकार फिर भी शांत होने का नाम नहीं ले रही है। दोस्तो धरना सिर्फ नारे और तख्तियों तक सीमित नहीं है। आंदोलनकारियों ने सड़क पर ही भोजन बनाना शुरू कर दिया है, ताकि वे लंबी लड़ाई के लिए तैयार रह सकें, चार दिन से लगातार जारी आंदोलन में न सिर्फ राजधानी के युवा, बल्कि राज्य के दूर-दराज़ से आए छात्र-छात्राएं, कोचिंग संस्थान के विद्यार्थी और महाविद्यालयों के छात्र भी शामिल हो चुके हैं। हर शाम जब सड़कों की रौनक बुझ जाती है, तब मोबाइल की रोशनी में संघर्ष की लौ और तेज़ हो जाती है। दोस्तो इस मामले में अब लोग दो धड़ों में बटते भी दिख रहे हैं, एक वो धड़ा है जिसका जोश हाई है और वो किसी भी कीमत पर प्रदर्शन को खत्म करने के मूड में नहीं है, तो वहीं एक दूसरा धड़ा ऐसा भी है जो सरकार की हो रही कर्रवाई को देख कर अगला कदम उठाने की बात करता है। ऐसे में ये ह्लाला भी सवालों के घेरे में आ रहा है क्या ये सवाल भी होने लगा लगा है क्योंकि मुख्यमंत्री से प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात हुई थी, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला।

वहीं, प्रशासन की तरफ से धरना स्थल पर कोई वरिष्ठ अधिकारी नहीं पहुंचा, जिससे प्रदर्शनकारी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। दोस्तो अब बेरोजगार संघ का सीधा आरोप है कि सरकार “छोटी मछलियों” पर तो कार्रवाई करती है, लेकिन जब बात “सफेदपोश मछलियों” की आती है, तो कार्रवाई टाल दी जाती है। उनका कहना है कि जो असली गुनहगार हैं — वे आज भी सिस्टम के भीतर सुरक्षित बैठे हैं। अब बात करता हूं चार सूत्रीय मांगें, आंदोलन रहेगा अनिश्चितकालीन, दोस्तो बेरोजगार संघ ने अपनी चार मुख्य मांगों को एक बार फिर दोहराया है जिसमें UKSSSC पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की तत्काल संस्तुति की जाए। स्नातक स्तरीय परीक्षा को रद्द कर एक महीने के भीतर दोबारा परीक्षा कराई जाए। आयोग के अध्यक्ष जीएस मार्तोलिया को तत्काल हटाया जाए। संयुक्त आरक्षी भर्ती नियमावली में संशोधन किया जाए। दोस्तो बता दूं कि संगठन ने साफ कर दिया है कि जब तक इन मांगों पर लिखित और सार्वजनिक कार्रवाई नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उधर दोस्तो सरकार जांच और कार्रवाई तो कर ही है लेकिन ये सब उभिर्थियों और बेरोजगार संघ के पल्ले नहीं पड़ रही है। वैसे मेने आपको इनकी मांग और मामले पर हो रही कार्रवाई के बारे में बता दिया है।

इधर अब ये पूरा हो हल्ला सरकार के लिए परीक्षा की घड़ी भी बनता जा रहा है। कई जानकारों का मामना है कि इस पूरे घटना क्रम से धामी सरकार की छबी को धक्का लगा, उत्तराखंड में ही नहीं अब तो देश में भी सरकार की कार्यशैली पर सवाल होने लगा है। वैसे ये तो हम सब जातने हैं दोस्तो UKSSSC पेपर लीक मामला कोई नया विवाद नहीं है, पिछले कुछ सालों में परीक्षा घोटालों की एक लंबी फेहरिस्त उत्तराखंड में देखी जा चुकी है। ऐसे में यह आंदोलन सिर्फ एक परीक्षा या भर्ती प्रक्रिया की बात नहीं कर रहा, बल्कि नौजवानों के भविष्य, उनकी मेहनत और भरोसे की बात कर रहा है। सरकार ने कुछ स्तर पर कार्रवाई की है — जैसे कुछ कर्मचारियों का निलंबन, जांच बैठाना आदि — लेकिन युवाओं का कहना है कि अब समय “टालमटोल” से नहीं, “निर्णय” से आगे बढ़ने का है। बहरहाला दोस्तो देहरादून की सड़कों पर बैठे ये युवा कोई पार्टी या संगठन नहीं, बल्कि राज्य के भविष्य की तस्वीर हैं। अगर उनकी बातों को आज नहीं सुना गया, तो इसका असर सिर्फ सरकार की छवि पर नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर पड़ेगा। ये आंदोलन अब सिर्फ नौकरी की मांग नहीं, बल्कि न्याय, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व की पुकार बन चुका है।सरकार झुकी है या नहीं — ये तय करना अब प्रदर्शनकारियों के हाथ में नहीं, बल्कि उस कार्रवाई में छिपा है जो जनता देख रही है और अब तो खबर ये भी कांग्रेस भी इनके समर्थन में धरना दे रही है।