विश्व विख्यात भगवान केदारनाथ के कपाट खोलने की तैयारी कल शाम से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ से शुरू हो गई है। Baba Kedar Panchmukhi Utsav Doli पौराणिक परंपराओं के अनुसार शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान केदारनाथ के क्षेत्ररक्षक भैरवनाथ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान भैरवनाथ भगवान को केदारनाथ धाम के लिए रवाना किया गया। पौराणिक परंपरा और मान्यता के अनुसार भगवान केदारनाथ की डोली को केदारनाथ रवाना करने से पहले क्षेत्ररक्षक भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है और पूजा-अर्चना के जरिये बाबा भैरवनाथ को केदारनाथ के लिए रवाना किया जाता है। भैरवनाथ भगवान को केदारनाथ का क्षेत्ररक्षक माना जाता है। मान्यता है कि जब केदारनाथ के कपाट बंद रहते हैं तो भैरवनाथ ही धाम की रक्षा करते हैं।
भैरवनाथ की पूजा के अवसर पर ओंकारेश्वर मंदिर में भारी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ी है। इसके अलावा उत्तराखंड के कई हिस्सों से देव डोलियां भी ओंकारेश्वर मंदिर में पहुंच रही हैं। आज सुबह भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली विधि-विधान से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर से केदारनाथ के लिए रवाना होगी। नौ मई को डोली केदारनाथ पहुंचेगी और दस मई की सुबह विधि-विधान से केदारनाथ धाम के कपाट खोल दिये जाएंगे। शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर को आठ टन फूलों से सजाया गया है और मंदिर में भव्य लाइटिंग भी की गई। बाबा केदार की डोली को केदारनाथ रवाना करने के लिये आर्मी की बैंड धुन भी शीतकालीन गद्दीस्थल पहुंच चुकी है। केदारनाथ के कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने बताया कि कपाट खोलने की सभी तैयारियां हो गई हैं। कपाट खुलने से पूर्व आज भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की गई।