उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते दिनों उत्तराखंड में लगातार हो रहे अवैध खनन पर अपनी चिंता जाहिर की है। Illegal Mining Uttarakhand सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने न सिर्फ अवैध खनन पर अपनी चिंता जाहिर, बल्कि उत्तराखंड में किस तरह से प्रशासन की मिली भगत से अवैध खनन कर नदियों का सीना चीरा जा रहा है, उसका भी जिक्र किया। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सदन में जिस तरह के अवैध खनन का मुद्दा उठाया, उसने शासन-प्रशासन के दावों पर सवाल जरूर खड़े किए है। जिसको लेकर उत्तराखंड खनन विभाग ने भी पांच सदस्य कमेटी का गठन कर राज्य में खनन के पर्यावरणीय प्रभावों को जानने की कोशिश की है। वैसे खनन विभाग खुद से पर्यावरण को लेकर इतना सजग नहीं हुआ है, बल्कि एनजीटी के निर्देशों के क्रम में यह कदम उठाया गया है।
समिति में अध्यक्ष के तौर पर वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक को रखा गया है। इसके अलावा भारतीय सर्वेक्षण विभाग के भूकंप विज्ञानी, आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञ, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के वरिष्ठ विशेषज्ञ वैज्ञानिक को सदस्य बनाया गया है। भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के संयुक्त निदेशक को भी इसका सदस्य सचिव बनाया गया है। विभाग के निदेशक कहा कहना है कि खनन पर अभी अन्य रिपोर्ट मिलनी है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने अकेले बागेश्वर में विशेष तरह के 160 खनन लाइसेंस सस्पेंड किए हैं। इसमें खड़िया, लाइम स्टोन, मैग्नेसाइट, डोलोनाइट और सिलिका सैड जैसे खनन अभी अध्ययन के दायरे में है। हालांकि विशेषज्ञ समिति अभी इस पर अध्ययन कर रही है और इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही इसकी असल स्थिति सबके सामने आ सकेगी।