उत्तराखंड के इस युवा ने देशभर में किया नाम रोशन
रूद्रप्रयाग के इस होनहार लाल ने दिखा दिया कि कुछ भी नामुकिन नहीं
इस होनहार युवा ने UPSC की परीक्षा को बना दिया खेल
एक बार नहीं बल्कि चार-चार बार पास कर ली UPSC की परीक्षा
मुकुल जमलोकी ने दिखा दिया कि मेहनत करो तो कुछ पाया जा सकता है
युवाओं को उत्साह से भर देगी मुकुल जमलोकी की कहानी
यूपीएससी की परीक्षा को देश की सबसे बड़ी परीक्षा माना जाता है और इसे पास करना भी सबसे मुश्किल माना जाता है…इस परीक्षा की तैयारी लाखों छात्र छात्राएं करते हैं लेकिन महज कुछ ही लोग इसे पास कर पाते हैं और जो भी पास कर लेते हैं वो आगे बढ़ जाते हैं लेकिन जरा सोचिए कि कोई शख्स यूपीएससी की इस कठिन परीक्षा को एक नहीं दो नहीं तीन नहीं बल्कि चार-चार बार पास कर ले तो वो शख्स किस मिट्टी का बना होगा…वो शख्स बना है देवभूमि उत्तराखंड की मिट्टी का…और जिनका नाम है मुकुल जमलोकी…जिन्होंने सबको चौंका कर रख दिया है मुकुल ने यूपीएसएसी की इतनी मुश्किल परीक्षा को एक बार नहीं बल्कि चार-चार बार पास कर दुनिया को बता दिया है कि अगर मेहनत सही दशा और दिशा में की जाए तो कुछ भी किया जा सकता है…आज हम आपको इस वीडियो में मुकुल जमलोकी से रूबरू करवाएँगे क्योंकि मुकुल की कहानी युवा पीढी़ को हौसला देने वाली है तो चलिए शुरू करते हैं मुकुल जमलोकी की प्रेरित करने वाली कहानी…बस आप हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखते रहें….
दरअसल मुकुल जमलोकी की कहानी इसलिए भी अद्भुत है क्योंकि यूपीएससी की परीक्षा पास करने के लिए युवा एड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं। सालों तक तैयारी करते हैं। दिन में कई-कई घंटे पढ़ाई करते हैं, फिर भी ज्यादातर युवाओं को असफलता का मुंह देखना पड़ता है…बस कुछ ही युवा इसे पास कर पाते हैं लेकिन मुकुल जमलोकी ने इस परीक्षा को चार-चार बार पास कर सबको चौंका दिया है….इस बार उन्होंने चौथी बार यूपीएससी की परीक्षा पास कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है उनकी इस सफलता से परिवार में जश्न का माहौल है। सोशल मीडिया पर भी खूब बधाईयां मिल रही हैं…चलिए आपको मुकुल जमलोकी की निजी जिंदगी और संघर्षों को गहराई से बताते हैं
मुकुल का परिवार मूलरूप से रुद्रप्रयाग के रविग्राम, फाटा का रहने वाला है। वर्तमान में वह देहरादून के कारगी चौक क्षेत्र में रह रहे हैं।
मुकुल के पिता डॉ. ओमप्रकाश जमलोकी दूरदर्शन में वीडियो एक्जीक्यूटिव हैं।
मुकुल की मां इंदू जमलोकी दिल्ली में सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं।
मुकुल जमलोकी की पढ़ाई देहरादून के ब्राइटलैंड स्कूल से हुई है।
UPSC की परीक्षा को बना दिया खेल
मुकुल जमलोकी ने पहली बार 2017 में UPSC की सिविल सेवा परीक्षा दी थी, तब उनकी 609 वीं रेंक आई। इसके तहत उनको भारतीय सूचना सेवा मिली, इसके बाद भी वह डटे रहे। 2018 में फिर दोबारा परीक्षा दी और इस बार 505 वीं रैंक के साथ भारतीय डाक सेवा मिली। मुकुल ने अपना अभियान जारी रखा और नौकरी करते हुए 2019 में फिर से परीक्षा दी और रैंक आई 260, और सर्विस मिली इंडियन अकाउंट एंड ऑडिट सर्विस। जहां अभी वह जॉब कर रहे हैं। इसके बावजूद मुकुल जमे रहे और जॉब के साथ फिर से चौथी बार परीक्षा दी और इस बार 161 वीं रैंक लाए…ऐसा लगता है कि मुकुल ने यूपीएसएसी की परीक्षा को खेल बना दिया है और हर बार पास कर लेते हैं…वहीं मुकुल जमलोकी के माता पिता अपने बेटे की अभूतपूर्व सफलता से गदगद हैं और खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं…और हों भी क्यों ना….यह निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि है। UPSC की परीक्षा में कुछ बिरले ही ऐसे उदाहरण होंगे जिन्होंने इस परीक्षा में लगातार सलेक्सन लिया होगा। इस बार मुकुल को भारतीय पुलिस सेवा मिलने की उम्मीद है