जी हां दोस्तो वो आखिर 26 दिन तक कहां था, अपने उत्तराखंड आई इस खबर ने सिर्फ सवालों को जन्म दिया है और कुछ नहीं, आखिर वो ही हुआ जिसका डर था। अब कैसे सवालों के घेरे में घिर गई एक गुमशुदगी। Pradeep Dariyal Body Found आखिर ऐसा क्या हुआ कि 26 दिन तक पुलिस भी नहीं खोज पाई। अब खोजा तो सवाल इतने की जवाब देते नहीं बन रहा बताउंगा पूरी खबर। दोस्तो खबर बेहद ही संवेदनशील है, उत्तराखंड के युवाओं की सुरक्षा से जुड़ा है और पुलिसिया कार्यशैली पर सवाल खड़े करने वाली है।दोस्तो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से एक दुखद खबर सामने आ रही है ,जहां पर पिछले 26 दिनों से लापता चल रहे 25 वर्षीय प्रदीप दरियाल का शव घटनास्थल से कई किमी दूर खाई से बरामद हुआ। घटना के बाद से मृतक के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। वही घटनास्थल और जिस जगह से शव मिला है दोनो के बीच लंबा फासला होने के चलते कई गंभीर प्रश्न खड़े हो रहे हैं। दोस्तो थोड़ा गौर कीजिएगा इस मामले में कैसे सवाल पर सवाल हो रहा है। जी हां दोस्तो 26 दिन बाद मिला प्रदीप का शव, हादसा या साज़िश? — रहस्यमयी मौत से दहला पिथौरागढ़। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से आई एक खबर ने पूरे पहाड़ को सन्न कर दिया है। 25 वर्षीय प्रदीप दरियाल, जो पिछले 26 दिनों से लापता थे, आखिरकार मृत अवस्था में खाई से मिले, लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं होता — क्योंकि जिस जगह से शव बरामद हुआ है, वो घटनास्थल से करीब 25 किलोमीटर दूर है।
अब सवालों की झड़ी लग चुकी है — क्या ये वाकई एक सड़क हादसा था? या इस पूरी कहानी के पीछे कुछ ऐसा छिपा है जिसे सामने आने में अभी वक्त लगेगा? दोस्तो मुनस्यारी के पातो गांव निवासी प्रदीप दरियाल, हल्द्वानी से यात्रियों को लेने धारचूला के लिए निकले थे…रास्ते में उन्होंने किसी से संपर्क नहीं किया, और जब यात्रियों ने फोन मिलाया तो उनका मोबाइल बंद मिला। इसके बाद उनकी कोई जानकारी नहीं मिली और अब शव मिला है। दोस्तो जब प्रदीप की कोई जानकारी नहीं मिली तो पुलिस को सुचना दी गई, तब पुलिस को पिथौरागढ़-धारचूला राष्ट्रीय राजमार्ग के ढूंगातोली क्षेत्र में एक दुर्घटनाग्रस्त स्कॉर्पियो मिली। गाड़ी गहरी खाई में गिरी थी, लेकिन चालक प्रदीप का कोई सुराग नहीं मिला। सर्च ऑपरेशन चला, स्थानीय लोग जुटे, परिवार उम्मीदों से टकटकी लगाए रहा — लेकिन प्रदीप जैसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया, बस गायब हो गए। उसके बाद स्थानीय लगों ने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए, खूब प्रदर्शन हुए। तब जाकर पुलिस कहीं एक्टिव होती नजर आई। उसके बाद वो खबर आई जिसका डर परिवार को था, समाज को था। 26 दिन बाद, ढूंगातोली से करीब 25 किलोमीटर दूर तल्लाबगड़ क्षेत्र की एक खाई में पुलिस को एक शव मिला। डीएनए और पहचान के बाद पुष्टि हुई — वो शव प्रदीप दरियाल का ही था, लेकिन दोस्तो यहीं से कहानी ने नया मोड़ लिया है बल अब। अगर दुर्घटना ढूंगातोली में हुई थी, तो शव 25 किलोमीटर दूर कैसे पहुंचा? क्या प्रदीप ने हादसे के बाद खुद किसी तरह बाहर निकलने की कोशिश की? या किसी ने हादसे की आड़ में किसी साजिश को अंजाम दिया? 25 किलोमीटर दूर शव कैसे पहुंचा? दोस्तो इतना ही नहीं है, सवाल एक बाद एक कई इस गुमशुदगी को लेकर थे और अब शव मिलने के बाद भी हैं — क्या तेज बहाव, जंगली जानवरों या किसी मानवीय हस्तक्षेप से शव वहां पहुंचा, या यह किसी योजनाबद्ध घटना का हिस्सा था? 26 दिन तक शव कहाँ था?
दोस्तो — अगर प्रदीप की मौत उसी दिन हो गई थी, तो शव इतने दिनों तक किसी को दिखाई क्यों नहीं दिया? — क्या किसी ने शव को जानबूझकर वहां फेंका? क्या यह मात्र सड़क हादसा नहीं था? ऐसे ना जाने कितने सवाल हैं जो अब इस गुमशुदगी पर उठने लगे हैं। दोस्तो वाहन की स्थिति, खाई की गहराई और शव की दूरी — ये तीनों बातें एक सामान्य दुर्घटना से मेल नहीं खातीं बल तो फिर क्या हुआ। दोस्तो प्रदीप के परिजन अब भी विश्वास नहीं कर पा रहे कि उनका बेटा अब नहीं रहा। उनका कहना है। अगर ये हादसा था, तो शव इतनी दूर कैसे मिला? और अगर हादसा नहीं था, तो हमारे बेटे के साथ क्या हुआ? वहीं दोस्तो पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और अब फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है। दोस्तो उत्तराखंड में ऐसे हादसे नए नहीं हैं। पर्वतीय इलाकों में सड़कें खतरनाक हैं, गहरी खाइयां मौत के कुएं बन चुकी हैं लेकिन इस मामले की रहस्यमयता ने इसे सिर्फ एक सड़क हादसे से कहीं ज़्यादा बना दिया है..लोग अब पूछ रहे हैं कि क्या प्रदीप का मामला सिर्फ हादसा है, या इसके पीछे कोई छिपा सच है जिसे कोई छुपा रहा है? दोस्तो प्रदीप के शव की स्थिति, उसके कपड़ों, मोबाइल और वाहन के तकनीकी परीक्षण के बाद ही सच्चाई सामने आएगी। लेकिन अभी जो तस्वीर है, वो सवालों से ज़्यादा जवाब नहीं देती। एक जवान ज़िंदगी चली गई, एक परिवार बिखर गया, और एक रहस्य अब भी कायम है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की ये घटना एक चेतावनी है ये दोस्तो बताती है कि हादसों की तह तक जाना और जांच को पारदर्शी रखना कितना जरूरी है। प्रदीप दरियाल अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके सवाल अब राज्य की सड़कों से लेकर शासन के गलियारों तक गूंज रहे हैं। क्या 26 दिन की तलाश का अंत सच्चाई की शुरुआत बनेगा या प्रदीप की मौत भी पहाड़ के उन रहस्यों में से एक बन जाएगी जो कभी सुलझते नहीं?