देहरादून: कोरोना के चलते दो साल रोक के बाद इस बार उत्तराखंड में चारधाम में रिकॉर्ड यात्री पहुंच रहे हैं। चारधाम यात्रा के बाद अब जुलाई में सावन का महीना शुरू होने के साथ ही कावड़ यात्रा भी शुरू हो जाएगी। कोरोना महामारी के चलते पिछले दो सालों से प्रतिबंधित कांवड़ यात्रा में इस बार 4 करोड़ से ज्यादा कावड़ियों के आने की आशंका है लिहाजा यात्रा में ट्रेफ़िक व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने किसी भी अपराधिक घटनाओं पर रोक और हुड़दंगियों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस प्रशासन ने पड़ोसी राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ आज पुलिस मुख्यालय में बैठक हुई। इस बैठक में राजस्थान हिमाचल, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारी शामिल हुए।
कांवड़ यात्रा के दौरान व्यवस्था बेहतर बनाए जाने को लेकर राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ इस बैठक का आयोजन किया गया। मीटिंग में कांवड़ यात्रा को सकुशल निपटाने पर चर्चा हुई साथ ही फरार अपराधियों की लिस्ट पर भी चर्चा की गयी इस मीटिंग को अहम इसलिए भी माना जा रहा है कि लंबे समय से कोरोना के चलते कावड़िए कांवड़ लेने नहीं आये हैं दूसरी तरफ कांवड़ यात्रा की आड़ में कोई भी अपराधिक तत्व प्रदेश की सीमाओं से फरार न हो सके इस पर भी चर्चा की गई वहीं इस मीटिंग में कांवड़ यात्रा में बाधित होने वाले रूट और ट्रेफिक डायवर्जन पर भी सभी राज्यों के अधिकारीयों की बात चीत हुई साथ ही कांवड़ यात्रा मार्गों पर सीसीटीवी कैमरे से भी निगरानी की जायेगी।
डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि कांवड़ यात्रा के लिए तैयारियां शुरू हो गयी हैं, और उम्मीद है कि चारधाम यात्रा में जिस तरह से श्रधालुओं की भीड़ उमड़ी है उसी तर्ज पर प्रदेश में दो साल बाद शुरू हो रहे कांवड़ यात्रा में भी शिव भक्तों का रिकार्ड टूटेगा, जिसके लिए तैयारियां जोरों से हैं और कांवड़ यात्रा शंतिपूर्ण चले जिसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। ये बैठक इसीलिए भी अहम थी, ताकि कांवड़ यात्रा की आड़ में कोई भी आपराधिक तत्व प्रदेश की सीमाओं से फरार न हो सके। वहीं, इस बैठक में कांवड़ यात्रा से बाधित होने वाले रूट और ट्रैफिक डायवर्जन पर भी सभी राज्यों के अधिकारीयों की बातचीत हुई। बता दें कि देवभूमि उत्तराखंड अपनी धार्मिक यात्राओं के लिए प्रसिद्ध है। कांवड़ यात्रा में दूसरे राज्यों से लाखों की संख्या में कांवड़ियां हर की पैड़ी आते हैं और जहां से गंगाजल लेकर शिवरात्रि पर अपने-अपने क्षेत्रों के शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं।