बारिश,आफत और टूटी सड़कें….सड़कों के लिए कम पड़ा आपदा का बजट

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उत्तराखंड में बारिश के बाद आई आपदा के चलते क्षतिग्रस्त हुई सड़कों की मरम्मत के लिए केंद्र सरकार से आपदा राहत राशि के तहत मिल रहा बजट पूरा नहीं पड़ रहा है। इसके चलते उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार से आपदा राहत राशि के मानकों में बदलाव करने का अनुरोध किया है। राज्य सरकार का कहना है कि सड़कों को ठीक करने के लिए अतिरिक्त बजट की जरूरत है। इस क्रम में सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है।

हर साल आपदा देती है झटका : उत्तराखंड लगभग प्रतिवर्ष मानसून सीजन में आपदा का दंश झेलता है। बारिश,बाढ़,भूस्खलन आदि के कारण राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सड़कें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। कई बार तो करोड़ों की लागत से बनी सड़कें बारिश के मौसम में ध्वस्त हो जाती हैं। ऐसी सड़कों को दोबारा बनाने में पहले से भी ज्यादा बजट खर्च हो जाता है। ऐसे में सड़कों की मरम्मत में खासा बजट खर्च होने की वजह से राज्य सरकार उत्तराखंड में नई सड़क परियोजनाओं पर ठीक से काम नहीं कर पा रही है।

पुश्तों के साथ रिटेनिंग वाल जरूरी: पहाड़ पर सड़क बनाने में सबसे अधिक उपयोग पुश्तों का हो रहा है। जबकि आपदा के मानकों में इसके लिए अलग से कोई बजट नहीं मिलता। यही नहीं पुश्तों के अलावा पहाड़ पर सड़कों को बचाने के लिए रिटेनिंग वाल भी जरूरी है। ऐसे में यह एक तरह से सड़क निर्माण के अतिरिक्त खर्च है। लेकिन इसके लिए बजट न मिलने से सड़कों की स्थिति नहीं सुधर पा रही है।