Uttarakhand Water Hero : उत्तराखण्ड के इस लाल ने कर दिया कमाल | Uttarakhand News

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पर्यावरण संरक्षण के कागजी वादों और दावों के बीच सामने आया पहाड़ का “ट्री मैन”
इस युवा ने अपने इलाके में बना दिया एक छोटा जंगल
10 साल में इस युवा ने लगा दिए 53 हजार पौधे
नई पीढ़ी के लिए मिसाल बन रहा है पहाड़ों का ये ट्री मैन

हमारे सामने आज जो सबसे बड़ी समस्या है वो है प्रदूषण…और प्रदूषण को रोकने के लिए जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत है वो है पर्यावरण संरक्षण…क्योंकि अगर आज पर्यावरण संरक्षण के बारे में नहीं सोचा गया तो हमारा भविष्य अंधकारमय है…जिसका सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ेगा हमाारी आने वाली पीढ़ी के लिए…वैसे भविष्य को बचाने के लिए अब पर्यावरण संरक्षण की बात तो की जाने लगी है लेकिन अब सिर्फ बात करके काम नहीं चलेगा अब धरातल पर काम करने की जरूरत है…और जब धरातल पर काम करने की बात आती है तो ज्यादातर लोग बहानेाबाजी करने लगते हैं…लेकिन पहाड़ों के एक सहासी बेटे ने ये जिम्मा उठा लिया है और पर्यावरण संरक्षण के लिए एक नहीं दो नहीं बल्कि 53 हजार पौधे लगाकर सबको चौंका दिया है…जिसके बाद से ही इस युवा की हर तरफ चर्चा हो रही है…तो चलिए आज हम आपको इसी सहासी युवा की कहानी आपको बताते हैं…बस आप हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखते रहें….
दरअसल पर्यावरण संरक्षण के नाम पर जैसे-तैसे कोई पौधे लगा भी देता है तो उसके संरक्षण की ओर ध्यान नहीं देता, लेकिन उत्तराखंड के एक युवा ने जो एक बार ठाना था उसे पूरा भी कर दिया है…दरअसल हम पहाड़ों के जिस युवा की बात कर रहे हैं उसका नाम है चंदन नयाल जो किसी अलग ही मिट्टी के बने हैं इन्हें प्रकृति से कुछ इस कदर लगाव है कि इन्होंने अपनी मेहनत से एक जंगल खड़ा कर दिया। और तो और चंदन ने अपनी देह भी दान कर दी है, ताकि उनके अंतिम संस्कार में किसी लकड़ी का इस्तेमाल न हो….तो ऐसे हैं चंदन नयाल….चलिए आपको चंदन की निजी जिंदगी के संघर्ष के बारे में भी बताते हैं..

चंदन हल्द्वानी क्षेत्र में ओखलकांडा ब्लॉक के नाई गांव में रहते हैं।
चंदन ने एक दशक की कड़ी मेहनत से मिश्रित जंगल विकसित किया है
साथ ही निर्जल हो चुके जल स्त्रोतों का संरक्षण भी कर रहे हैं।
30 साल के चंदन बताते हैं कि पहले वो गांव के बाहर नैनीताल, रामनगर और हल्द्वानी में रहते थे।
गर्मियों की छुट्टियों में जब चंदन गांव आते थे तो लगभग हर साल जंगल में लगी आग से सामना होता था।
बाद में चंदन ने पॉलिटेक्निक किया, वो चाहते तो शहर जाकर अच्छी नौकरी कर सकते थे, लेकिन जलते जंगल और सूखते जलस्त्रोतों ने उन्हें गांव में रोक लिया।

बता दें कि बीते दस साल में चंदन अब तक क्षेत्र में 53 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। ग्राम पंचायत के चामा तोक में वह युवा और महिला सहायता समूहों की मदद से करीब चार हेक्टेयर में मिश्रित वन विकसित कर रहे हैं। उन्होंने नर्सरी भी तैयार की है, जहां से उन्होंने अब तक लोगों को करीब 60000 पौधे बांटे हैं। चंदन अब तक 12 हेक्टेयर भूमि में 5200 से अधिक चाल खाल और खंतियां बना चुके हैं।
वैसे तो चंदन इस काम को बिना किसी स्वार्थ के कर रहे हैं लेकिन ऐसा भी नहीं है कि चंदन के इस काम को लोकप्रियता नहीं मिल रही है…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से पर्यावरण के लिए किए गए चंदन के प्रयासों की सराहना कर चुके हैं।
जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार की ओर से उन्हें 23 जुलाई 2021 में ‘वाटर हीरो के अवार्ड से नवाजा जा चुका है।

वहीं जब चंदन से ये पूछा गया है कि चंदन को इस काम की प्रेरणा कहां से मिली तो चंदन बताते हैं कि

कुछ साल पहले उनकी मां का निधन हो गया था, तब से वह प्रकृति को ही अपनी मां और ईश्वर मानते हैं।

पर्यावरण के संरक्षण को लेकर चंदन की गंभीरता इस बात से साबित हो जाती है कि अपने निधन पर कोई लकड़ी न जले इसलिए चंदन ने चार साल पहले अपनी देह मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी को दान कर दी है…आज के इस दौर में जब पर्यावरण संरक्षण की बातें सिर्फ कागजी साबित हो रही हैं तब चंदन जो कर रहे हैं वो आने वाली पीढ़ी के लिए मील का पत्थर साबित होने वाला है