उत्तराखंड आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। यहां लंबे वक्त से भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। उत्तरकाशी में आज सुबह-सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। Uttarakhand Earthquake Research Report उत्तरकाशी में 24 घंटे के भीतर यह तीसरी बार है, जब भूकंप के झटके महसूस हुए हैं। इस बीच वैज्ञानिकों ने एक डराने वाली चेतावनी दी है। उत्तरकाशी जनपद में रिक्टर स्केल पर 7 अधिक तीव्रता का भूकंप आ सकता है। यह कहना है कि वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के भूकंप विज्ञान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ.नरेश कुमार का। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र केंद्रीय भूकंपीय अंतराल (सेंट्रल सिस्मिक गैप) में शामिल है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय भूकंपीय अंतराल, हिमालय का एक ऐसा क्षेत्र है जहां लंबे समय से बड़ा भूकंप नहीं आया है। बताया कि इस क्षेत्र में इससे पूर्व 1905 का कांगड़ा का भूकंप और 1934 में बिहार-नेपाल का भूकंप आया था।
राज्य में पूर्व में आए बड़ी तीव्रता के भूकंप की बात करें तो 1999 में चमोली में आए भूकंप का मैग्नीट्यूड 6.8, 1991 में उत्तरकाशी में 6.6, 1980 में धारचूला में 6.1 मैग्नीट्यूड के भूकंप आ चुके हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालयन बेल्ट में फाल्ट लाइन के कारण लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं और भविष्य में बड़े भूकंप की आशंका बनी हुई है। इसी फाल्ट पर मौजूद उत्तराखंड में लंबे समय से बड़ी तीव्रता का भूकंप न आने से यहां बड़ा गैप भी बना हुआ है। इससे हिमालयी क्षेत्र में 6 मैग्नीट्यूड से अधिक के भूकंप के बराबर ऊर्जा एकत्र हो रही है। आईआईटी रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग के वैज्ञानिक प्रो. एमएल शर्मा बताते हैं कि राज्य में भूकंप की दृष्टि से हुए कैलकुलेशन के परिणाम बता रहे हैं कि राज्य में 6 से 7 मैग्नीट्यूड तक का भूकंप आने का चांस 90 प्रतिशत है।