आ गया टनल रेस्क्यू का ‘सुपरमैन’, आते ही मिली बड़ी कामयाबी | Arnold Dix | Uttarakhand Tunnel Collapse

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दुनिया का सबसे बड़ा टनल एक्सपर्ट आया… 41 मजदूरों की जिंदगियों के लिए करेंगे रास्ता करेंगे तैयार
टनल एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स कौन हैं? जिनके आने से बढ़ गया है 41 मजदूरों की वापसी का भरोसा
5 तरफ से होगी ड्रिलिंग… नई रणनीति के तहत आठ एजेंसियों पर धामी सरकार ने किया विश्वास

 

उम्मीदें जो थम रही थी… एक बार फिर से उसको पर लग गए… क्योंकि दुनिया जिस पर आंख मूंदकर विश्वास करती है… जिसकी कही बातों को गंभीरता से लेती है… अब वहीं उत्तराखंड की जमी उतरे हैं… क्राइस मैनेजमेंट में वो माहिर हैं… उत्तरकाशी जैसे ढेरो टनल मामले उन्होंने निपटाए एक बार फिर एक बड़ी चुनौती को स्वीकार कर उसमें अपनी सौ फीसदी क्षंमता का इस्तेमाल करने का विश्वास दिला रहे हैं… वो और कोई नहीं है… ‘इंटरनेशनल टनलिंग अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन’ के प्रेसिडेंट प्रोफेसर ऑर्नल्ड डिक्स है… जो उत्तरकाशी आए हैं… प्रोफेसर डिक्स दुनिया भर में टनल सेफ्टी एक्सपर्ट और डिजास्टर इन्वेस्टिगेटर के तौर पर प्रसिद्ध हैं… कहा जा रहा है… दो और ड्रिलिंग मशीनें गुजरात और ओडिशा से आ रही हैं… हैवी वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन को पहाड़ी तक लाने के लिए 1200 मीटर सड़क बनानी है…भारत आने के साथ ही अर्नोल्ड डिक्स ने अपने प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है।
अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि सुरंग हिमालय के क्षेत्र में है, इसलिए ये काफी मुश्किल मिशन है… इसमें एक हफ्ते का समय लग सकता है… पहाड़ की चोटी से सुरंग में 100 फीट तक वर्टिकल ड्रिलिंग की जाएगी… अगर जरूरत पड़ी तो हाथों से सुरंग खोदने के परंपरागत तरीके का भी प्रयोग किया जा सकता है, जो अक्सर पनबिजली परियोजनाओं के लिए सुरंग बनाने में काम आता है… अर्नोल्ड डिक्स के तजुर्बे और आत्मविश्वास को देखकर लगता है कि जल्द ही 41 मजदूर सुरंग से बाहर आ जाएंगे… हालांकि, उससे पहले हम आपको बताते हैं कि ये अर्नोल्ड डिक्स कौन हैं और इस मुश्किल परिस्थिति में उन पर भरोसा क्यों जताया गया है…
काउंसिल व्हाइट एंड केस और इंटरनैशनल ट्यूनलिंग ऐंड अंडरग्राउंड स्पेस असोसिएशन के अध्यक्ष प्रफेसर अर्नोल्ड डिक्स एक बैरिस्टर और वैज्ञानिक हैं, जिन्हें अंडरग्राउंड में विशेषज्ञता हासिल है… वो ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले हैं… अर्नोल्ड डिक्स दुनिया भर में कई परियोजनाओं के लिए विवाद निवारण बोर्ड और टेंडर इवैल्युएशन पैनल पर नियुक्तियाँ करते हैं… कानून और इंजीनियरिंग दोनों में ही विशेषज्ञता होने के कारण उन्होंने कई विवादित और कठिन मसलों में भी अपनी सूझबूझ से समझौता कराया है… उन्हें अंडरग्राउंड इन्फ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग्स और ट्रांसपोर्ट रिस्क के शानदार और स्वतंत्र विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है… अर्नोल्ड डिक्स को साल 2008 में ब्रिटिश टनलिंग सोसाइटी ने समकालीन विश्व टनलिंग मुद्दों पर लेक्चर प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया था… इसके अलावा मार्च 2011 में अर्नोल्ड को टनलिंग में शानदार कौशल और दुनिया में अग्निसुरक्षा में उनके योगदान के लिए एलन नेलैंड ऑस्ट्रेलेशियन टनलिंग सोसाइटी के द्विवार्षिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था…ये ऑस्ट्रेलिया में सुरंग बनाने वाले पेशेवरों के लिए सर्वोच्च सम्मान है… अर्नोल्ड को संयुक्त राज्य अमेरिका में अग्नि संबंधी मामलों के विषय-विशेषज्ञ के रूप में माना जाता है… वो फेडरल हाइवे एडमिनिस्ट्रेशन और कोलराडो डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसपोर्टेशन को सलाह प्रदान करते हैं… जून 2022 में अर्नोल्ड को एनएफपीए के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया था…
आपको बता दें हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था… टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी… इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए… रेस्क्यू के दौरान टनल से और पत्थर गिरे जिसकी वजह से मलबा कुल 70 मीटर तक फैला गया… टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं…उत्तराखंड सरकार ने कहा है कि कई राज्यों के श्रमिकों की जानकारी लेने पहुंचे परिजनों का खर्च सरकार उठाएगी… परिजनों से समन्वय बनाने को तीन और अफसर उत्तरकाशी भेजे गए हैं…
वही 20 नवंबj को सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड की वर्टिकल ड्रिलिंग की एक मशीन उत्तरकाशी पहुंच गई… इससे पहले, रेस्क्यू के लिए आईं चार मशीनें और तीन प्लान फेल हो चुके है…

नई रणनीति के तहत आठ एजेंसियां- NHIDCL, ONGC,
THDCIL, RVNL, BRO, NDRF, SDRF, PWD और
ITBP एक साथ 5 तरफ से टनल में ड्रिलिंग करेंगी

टनल में 5 तरफ से ड्रिलिंग इस तरह होगी…

पहली- सिलक्यारा की ओर से मेन टनल में 35 मीटर की ड्रिलिंग NHIDCL के जिम्मे है।
दूसरी- डंडालगांव की ओर से मेन टनल में 480 मीटर की खुदाई THDCIL के पास है।
तीसरी- डंडालगांव की तरफ से 172 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की जिम्मेदारी ONGC के पास है।
चौथी- सिलक्यारा से 350 मीटर आगे यमुनोत्री जाने वाले पुराने रास्ते पर BRO ने सड़क बनाई। हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग का जिम्मा RVNL के पास।
5वीं- सिलक्यारा की तरफ से ही 350 मीटर आगे 84 मीटर की दो वर्टिकल ड्रिलिंग RVNL और सतलुज जल विद्युत निगम के पास

पहली ड्रिलिंग 24 इंच की होगी… इससे मजदूरों को खाना दिया जाएगा… इसमें 2 दिन लगने की उम्मीद है… दूसरी ड्रिलिंग 1.2 मीटर की होगी, जिसमें लोगों को निकाला जाएगा… इसमें 4-5 दिन लगेंगे