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9 दिन से वो फंसे हैं… कैसे कट रही है सुरंग के अंदर जिंदगी
टनल के अंदर 41 लोग क्या खा रहे हैं… भूख-प्यास और शौच के लिए उनके पास क्या है?
रोटी पहुंचाने के लिए कौन सा रास्ता अपनाया गया… शरीर में ताकत देने के लिए मजदूरों के पास क्या क्या भेजा…

उत्तराखंड टनल हादसे में फंसे 41 श्रमिक की जिंदगी दांव पर लगी है… 9 दिनों से उत्तरकाशी के सिलक्यारा गांव के टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है… अंधेरे में घुट रहे श्रमिकों का धैर्य टूटता जा रहा है… सांत्वना और मनोबल बढ़ाने वाली बातें अब सुहा नहीं रही हैं… उनकी आवाज भी कमजोर पड़ने लगी है। अब वह सवाल पूछने लगे हैं, कब बाहर निकालोगे? हमें बचाने के लिए कुछ कर भी रहे हो या बातें बना रहे हो… उन्हें बाहर निकालने की डेडलाइन दिन ब दिन बढ़ती जा रही है… दिवाली के दिन फंसे थे तब बयान आया कि 72 घंटे में बाहर निकाल लेंगे… 9वें दिन रेस्क्यू टीम का बयान आया कि मजदूरों तक पहुंचने के लिए 6 विकल्पों पर काम हो रहा है… निकालने में दो- ढाई दिन और लगेंगे… अब तो 200 घंटे से ज्यादा हो गए, धैर्य का टूटना लाजिमी है… टनल के बाहर उनके घर वाले भूखे-प्यासे राह ताक रहे हैं। किसी का पति फंसा है तो किसी का बेटा और किसी का भाई। दिवाली के बाद से कितने त्योहार निकल गए मगर अपनों के बाहर निकलने की उम्मीद लगाए परिजनों ने पेट भर खाना नहीं खाया… निवाला उठाते ही दिल धक कर जाता है, टनल के अंदर 41 लोग क्या खा रहे होंगे। भूख-प्यास और शौच के लिए उनके पास क्या है?
मलबे को ध्वस्त करने वाली मशीन पहले कई बार खराब हुई और उम्मीदें लड़खड़ाने लगीं… हालांकि इस बीच बचाव कार्य ने ढांढस भी दिया…

सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को पाइप से खाने के लिए मुरमुरे, ड्राई फ्रूट्स, दवाइयां और ऑक्सीजन भेजे जा रहे हैं
चार इंच की पाइप लाइन फिलहाल मजदूरों की उम्मीद का सहारा है… डिहाइड्रेशन से बचाने वाला ओआरएस, विटामिन बी और विटामिन सी की गोलियों ने उन्हें जिंदा कर रखा है
बचाव दल 41 मजदूरों एंटी डिप्रेशन की दवाइयां भी दे रहा है, ताकि मुसीबत में उनका मानसिक संतुलन बना रहे

गनीमत ये है कि सुरंग के अंदर दो किलोमीटर के हिस्से में बिजली की सप्लाई अभी भी चल रही है, जहां से मजदूरों को रोशनी मिल रही है… टनल बनाने के दौरान वहां वॉटर पाइप लाइन बिछाई गई थी, जो आज मुसीबत में उनकी प्यास बुझा रहा है… अब रेस्क्यू टीम ने 6 इंच की पाइप मजदूरों तक पहुंचाने में सफलता हासिल की है। जिसके जरिये अब उन्हें रोटी नसीब हो सकती है… कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि श्रमिकों को बचाने के लिए 6 प्लान पर काम किया जा रहा है… कुल 6 जगहों से ड्रिल किया जाएगा… पहला प्लान यह है कि आगर मशीन से सुरंग में 900 एमएम का पाइप को ड्रिल कर छत को मजबूत किया जाए… फिर सुरंग के आकार का रास्ता बनाकर फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जाए… इसके अलावा टनल के एंडिंग पॉइंट पर वर्टिकल खोदाई की जा रही है… मलबा और टनल के बीच खाली स्पेस में रोबोट भेजे जाएंगे। जो देखेगा कि टनल में कितना स्पेस खाली है, फिर उसके हिसाब से रास्ते तैयार किए जाएंगे… इसके अलावा टनल के बीच में 6 इंच का लाइफ सपोर्ट सिस्टम डाला जाएगा। रेस्क्यू टीम इसके अलावा टनल के पास बाई और दाईं ओर से भी ड्रिलिंग कर एस्केप टनल बनाने की प्लानिंग की है… ढाई मीटर ब्यास वाला का यह रास्ता मजदूरों को बाहर लाने में मदद कर सकता है… आरबीएनल, एसजीएनबी, टीएचडीसी और ओएनजीसी की टीमों को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है