2 सितंबर 1994 को पहाड़ों की रानी मसूरी गोलियों की आवाज से गूंज उठी थी। पुलिस की गोली से 6 लोग हुए शहीद हो गए थे। एक पुलिस अधिकारी की भी मौत हुई थी। 30th anniversary of Mussoorie firing incident मसूरी गोलीकांड को आज 30 साल पूरे हो चुके हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मसूरी में उत्तराखंड आंदोलन की 29वीं वर्षगांठ पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भाग लिया। शहीदों को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि मसूरी, खटीमा और रामपुर की घटना उत्तराखंड के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज है। अलग राज्य की मांग के लिए मसूरी में छह राज्य आंदोलनकारियों ने अपना बलिदान दिया था। मसूरी में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में सीएम धामी ने कहा कि सत्ताधारी दल ने आंदोलनकारियों के आंदोलन को कुचलने का कार्य किया है।
सीएम धामी ने कहा कि आज उत्तराखंड देश के कई राज्यों में अग्रणी राज्य बना है। युवाओं, महिलाओं के उत्थान के लिए कई कार्य किए जा रहे। आने वाले दस वर्ष राज्य विकास के शिखर पर होगा। सीएम ने कहा कि नकल माफियाओं पर सरकार ने शिकंजा कसा है। युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नही होने देंगे। सौ से भी ज्यादा नकल माफियाओं को जेल भेजने का काम सरकार ने किया है। सख्त नकल कानून सरकार लाई है। संपत्ति जब्त करने का भी प्राविधान किया गया है। वहीं इस मौके पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि अलग राज्य निर्माण के लिए प्रदेश की जनता ने बड़ा संघर्ष किया है। मातृ शक्ति ने सबसे बड़ा योगदान दिया। शाहीदों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते है कहा कि आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने का बड़ा काम किया है।