चीन सीमा से सटे चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर वायुसेना का अभ्यास, पहली बार रात में उतरा चिनूक हेलीकॉप्टर

चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर ने दिन व रात में टेकऑफ और लैंडिंग का अभ्यास किया। यह पहली बार है जब वायु सेना रात के समय अपने चिनूक हेलीकॉप्टर की लैंडिंग और टेक ऑफ का अभ्यास कर रही है।

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भारत और चीन के बीच बीते कुछ वर्षों से चल रहा सीमा विवाद पूरा विश्व जनता है। वहीं लगातार बढ़ रहे विवाद को देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने सीमावर्ती राज्यों की इनर लाइन तक पहुंच बनाने की दृष्टि से हवाई पट्टियों को दुरुस्त करना शुरू कर दिया है। Uttarkashi Chinyalisaur Airport उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला चीन सीमा से सटा हुआ है। जहां मौजूद चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर भारतीय वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर ने दिन व रात में टेकऑफ और लैंडिंग का अभ्यास किया। यह पहली बार है जब वायु सेना रात के समय अपने चिनूक हेलीकॉप्टर की लैंडिंग और टेक ऑफ का अभ्यास कर रही है। शुक्रवार शाम चार बजे चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर ने सफलतापूर्वक लैंडिंग की। इसके बाद रात में करीब पौने नौ बजे यह हेलीकॉप्टर दोबारा हवाई अड्डे पर पहुंचा।

आसमान में दो राउंड लगाने के बाद लैंडिंग और टेकऑफ का सफलतापूर्वक अभ्यास किया गया। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस हवाई अड्डे पर इससे पहले यह हेलीकॉप्टर सिलक्यारा सुरंग हादसे के दौरान 28 नवंबर को रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने पर उतरा था। कुछ दिनों पूर्व प्रयागराज से चिनूक हेलीकॉप्टर के चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे के साथ ही पिथौरागढ़, गौचर हवाई अड्डे पर दिन और रात में लैंडिंग और टेकऑफ के अभ्यास की सूचना जिला प्रशासन को दी गई थी। वैसे तो भारतीय वायुसेना की संचार टीम काफी समय पहले से चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर डेरा डाल चुकी है। वही वर्ष 2013 में उत्तराखंड की केदारनाथ आपदा के समय चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर बड़े विमानों की श्रेणी में शामिल हरक्यूलिस विमान को भी उतारा जा चुका है। इतना ही नहीं पहले भी लड़ाकू विमान इसी हवाई पट्टी से उड़ान भर चुके है। इसके बाद से लगातार भारतीय वायुसेना की टेक्निकल टीम हवाई पट्टी को आधुनिक बनाने की तैयारी में जुटा हुआ है।