भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में क्या चल रहा है, यह जानने के लिए रुड़की के कई विधायकों ने जहां शनिवार को दिनभर देहरादून में डेरा डाले रखा तो वहीं कुछ विधायक और दोवदार फोन पर फीडबैक हासिल करते रहे। दावेदारों में सबसे ज्यादा यह जानने की बेचैनी थी कि तीन लोगों की लिस्ट में उनका नाम किस नंबर पर है।
वैसे तो भाजपा प्रत्याशियों के नामों पर अंतिम मुहर दिल्ली से लगेगी, लेकिन माना जा रहा है कि भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में हर सीट पर जो तीन नाम भेजे जाएंगे, उनमें सबसे ऊपर वाले नाम को ही लगभग हरी झंडी मिल जाएगी। इसी के चलते शनिवार को देहरादून में हुई संसदीय बोर्ड की बैठक को लेकर विधायक और दावेदार खासे गंभीर दिखे।
क्षेत्र के अधिकांश विधायक तो देहरादून में ही डेरा जमाए रहे जबकि कई विधायक और दावेदार दिनभर देहरादून से फीडबैक हासिल करने के लिए फोन घुमाते रहे। सबसे ज्यादा दिलचस्पी उन सीटों के बारे में जानने के लिए रही, जिन सीटों पर टिकट कटने की कयासबाजी लगाई जा रही है। रुड़की और आसपास की चार विधानसभा सीटों पर टिकट को लेकर लंबे समय से असमंजस की स्थिति है।
टिकटों के एलान के बाद भाजपा को बगावत का अंदेशा
विधानसभा चुनाव में टिकटों के एलान के बाद भाजपा को कुछ सीटों पर बगावत का अंदेशा है। बगावत से होने वाले नुकसान को कम से कम करने के लिए पार्टी ने डेमेज कंट्रोल की रणनीति बना ली है। पार्टी के सांसदों को डेमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी दी जा रही है। लोकसभा क्षेत्रों में सांसदों की अध्यक्षता में समिति बनेगी जिसमें वरिष्ठ नेताओं को रखा जाएगा।
शनिवार को चुनाव समिति की बैठक के बाद पार्टी ने सभी 70 विधानसभा सीटों पर नामों के पैनल तैयार कर लिए हैं, जिन्हें केंद्रीय नेतृत्व को भेजा जाएगा। सोमवार को केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में उत्तराखंड से भेजे गए पैनलों पर विचार के बाद प्रत्याशियों की घोषणा हो सकती है। पार्टी सूत्रों का मानना है कि कुछ विधानसभा सीटों पर संगठन को बगावत और असंतोष का अंदेशा है। इसलिए पार्टी ने इस खतरे से निपटने के लिए पहले से ही रणनीति बनाई है।
पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक, कोर ग्रुप की बैठक में इस मसले पर चर्चा हुई। टिकट कटने से नाराज होने वाले दावेदारों का मानमनव्वल करने के अभियान पर पार्टी वरिष्ठ नेताओं को झोंकेगी। यह जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के सांसद को दी जाएगी। उनकी अध्यक्षता में डेमेज कंट्रोल कमेटी बनेगी जिसमें संसदीय क्षेत्र से जुड़े वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों को शामिल कराया जाएगा। चुनाव से पूर्व